शिक्षक दिवस की अनंत शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत हैं मेरी कविता “हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम” से कुछ पंक्तियां :——-
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गुरु कि महिमा
क्या लिखूं,
गुरु निस्वारथ
इंसान ।
मात-पिता
से भी पहले,
हे गुरुवर !
तुम्हें प्रणाम।।
गुरु बिन
जीवन में कभी,
फलित न
कोई काम।
जगदीश्वर से
भी पहले,
हे गुरुवर !
तुम्हें प्रणाम।।
कंटककीर्ण पथौं
पर भी नित,
अधरों पर
अतुलित मुस्कान।
जगदीश्वर
पितु-मातु से,
पहले तुम्हें प्रणाम।
हे गुरुवर! तुम्हें प्रणाम।
हे गुरुवर!तुम्हें प्रणाम ।।
भारत के द्वितीय राष्ट्रपति महान शिक्षाविद और भारत रत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी की जयंती पर शत-शत नमन। ।
*बेलीराम कंसवाल*
*भेट्टी ,ग्यारह गांव ।*
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक