देहरादून। शिक्षक दिवस पर आज पूरे देश के साथ उत्तराखंड में भी शिक्षकों को शुभकामनाएं दी जा रहे है और डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण को याद किया जा रहा है, वहीं उत्तराखंड चमोली की एक ऐसी महिला शिक्षिका की कहानी हम आपके सामने लेकर लाए हैं जो शिक्षिका कुसुम गढ़िया के प्रयासों से आज चमोली जिले का राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय वीणा पोखरी उन स्कूलों में से एक है जो उत्तराखंड के नंबर वन स्कूलों में एक है,यह स्कूल 5 साल पहले बंद होने की कगार पर आ चुका था, क्योंकि स्कूल में कम छात्र संख्या की वजह से स्कूल को बंद होना तय था,लेकिन जब से राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय वीणा पोखरी में शिक्षिका कुसुम घड़ियां आई है तब से स्कूल की सूरत ही बदल गई है, खास बात यह है कि 5 साल पहले जहां स्कूल की छात्र संख्या 7 पर आ पहुंची छुट्टी थी, वही आज छात्र संख्या करीब 30 के ऊपर जा पहुंची और यह सब शिक्षिका कुसुम गढ़िया के प्रयासों से हुआ है। आज यह स्कूल उन स्कूलों में शुमार हो गया है जो वास्तव में सरस्वती के मंदिर से कम नहीं है,क्योंकि स्कूल पूरी तरीके से जहां चमचम आता हुआ नजर आ रहा है,वही उत्तराखंड का यह एकमात्र स्कूलों में होगा जहां फर्श पर टाइल्स बिछी हुई है,तो वही स्कूल में बने चित्रों पर बारकोड वाला यह पहला विद्यालय जहां छात्र बारकोड स्कैन कर भी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, शिक्षिका कुसुम गढ़िया कहती हैं कि जब वह 5 साल पहले इस स्कूल में आई थी तो स्कूल की खस्ता हालत थी लेकिन उन्होंने स्कूल को सजाने और संवारने के साथ-साथ छात्रों को बेहतर शिक्षा देने की ठानी जिसकी बदौलत आज उनका स्कूल उत्तराखंड के टॉप स्कूलों में शुमार हो गया है, जहां छात्रों को बारकोड के माध्यम से भी शिक्षा मिल रही है,तो वहीं स्कूल का भवन बेहद शानदार बन गए हैं उनके खुद के प्रयासों और तमाम जनप्रतिनिधियों के प्रयासों से स्कूल आज बेहद चमचम आता हुआ नजर आता है शिक्षिका की माने तो वह खुद के वेतन से भी स्कूल को सवारने में कई लाख रुपए लगा चुकी है वहीं जनप्रतिनिधियों के समक्ष स्कूल को चमकाने के लिए भी वह लाखों रुपए का बजट स्कूल में लगा चुकी है। इतना ही नहीं कुसुम लता पर्यावरण के प्रति भी बेहद संजीदा है शिक्षिका होने के साथ ही वह पर्यावरण के प्रति भी लोगों को जागृत करती हैं और अपने स्कूल के साथ क्षेत्र में वृक्षारोपण करती हैं।
इस वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित होने से कुछ अंक से रही पीछे
शिक्षिका कुसुमलता इस वर्ष राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार से कुछ अंकों से महक पीछे रही। लेकिन माना जा रहा है कि आगे आने वाले सालों में जिस तरीके से और शिक्षा के क्षेत्र में रहकर काम कर रही है उन्हें निश्चित रूप में राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने का अवसर भी मिलेगा।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक