18 नवंबर से छठ पूजा का महापर्व शुरू हो रहा है. कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है. शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को छठ का महापर्व मनाया जाता है. इस पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखण्ड से हुई. कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है. इसलिए सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है, ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान न करें. षष्ठी तिथि का संबंध संतान की आयु से होता है और सूर्य भी ज्योतिष में संतान से संबंध रखता है. इसलिए सूर्य देव की षष्ठी पूजा से संतान प्राप्ति और और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है. इस बार छठ पर्व 18 नवंबर से 21 नवंबर तक चलेगा…
और वही उत्तराखण्ड मैं कोरोना काल में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बिहारी महासभा उत्तराखंड ने फैसला लिया है कि इस वर्ष बिहारी महासभा का सामूहिक छठ पूजा आयोजन नहीं होगा।
छठी पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है.
छठी मैया संतान की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को खुशहाल रखती हैं.
छठ पूजा करने से सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति होती है.
परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी छठी मैया का व्रत किया जाता है.
छठी मैया की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक