●नरेंद्र पिमोली dehradun●
हरेला कैसे मनाया जाता है देखिए ये खास रिपोर्ट
उत्तराखंडी लोक पर्व हरेला जो कल 16 जुलाई को बड़ी धूम धाम से मनाया जाएगा, आज रात हरेले की गुड़ाई व निराई की जाती है जिसके लिए पहले पिठयाँ, कुमकुम तथा अक्षत चढ़ाया जाता है तथा धूप आरती करके गुडाई की जाती हैं, इससे एक धागे तिसुत मतलब तीन प्रकार 3 तागों को एक साथ मिलाकर एक परिक्रमा कर बांध दिया जाता है और आंगन में लगे हुए फल के उसके बीच में रख गुडाई संपन्न होती है, यह पुरानी परंपरा है, जो आज भी कुमाऊ में हरेला प्रसिद्ध त्योहार माना जाता है,
हरेला धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। पौधारोपण की बयार चलेगी। देव मंदिरों में पूजा होगी और दस दिन पूर्व अनाज के बीज से हरेला बोया जाता है, घरों में हरेला देवताओं के साथ ही लोगों को भी चढ़ाया जाता है, दादा-दादी, ताऊ-ताई और बुजुर्ग हरेला चढ़ाते समय, जी रया, जागि रया.. आदि का आर्शीवाद भी देते है।और ससुराल की बेटी बुवारी को मायके वाले हरेला देने जाते है ,या बेटी मायके आ के अपने भाई बहन,के साथ त्योहार मनाते है,पकवान में पूरी,खीर, पकोड़े, पूवे,आदि चीजे बनाई जाती है, हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए काफी लाभदायक मना जाने लगा है। सरकारें भी हरेला पर्व पर पौधारोपण के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं।
आप सभी को गढ़वाली कुमाउनी वार्ता की तरफ से हरेला की हार्दिक शुभकामनाएं….
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक