चमकण लगी गे होलू अब मेरू पहाड का गौं -गौला !चौमुखी दिवा और भैला भी सजण बैठी गे होला !मेरा मेत का औजी अर तामासगिरी लोग ढोल सजौण बैठी गे होला !सभी दिशा – धियाणी भी अपणा मैत जाणा की तेयारी कनी बैठ गे होला !!!साल भर बटी होन्दी जैकी जग्वाल,बौडी येगे आज फिर बग्वाल…!खूशी और प्रेम कू यू त्यौहार..हो सूख:शान्ति और प्रेम की बहार..!!
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक