●नरेंद्र पिमोली कुमाऊं बागेश्वर●
सरकारी उदासीनता के चलते खंडर हो गई कुमाऊं की महान दानवीर महिला स्व.जसुली दताल (शौक्याणी) की विरासत
पिथौरागढ़- धारचूला के दांतू गांव की महान दानवीर महिला स्व. जसुली दताल (शौक्याणी) ने लगभग 170 साल पहले दारमा घाटी से लेकर भोटिया पड़ाव हल्द्वानी तक धर्मशालाओं का निर्माण किया गया था। इसमें से लगभग ज्यादातर धर्मशालाएं अब खंडहर हो चुकी हैं। कुमाऊं की जसुली देवी ने इन धर्मशालाओं का निर्माण पिथौरागढ़,अल्मोड़ा, धारचूला, टनकपुर, अल्मोड़ा और बागेश्वर सहित पूरे कुमाऊं के पैदल रास्तों पर भी काम करवाया था। इन धर्मशालाओं का वर्णन 19वीं सदी के आठवें दशक (1870) में अल्मोड़ा के तत्कालीन कमिश्नर शेरिंग के यात्रा वृतांत में भी मिलता है।
कौन थी जसुली देवी, और कहाँ रहती थी जसुली दीदी
स्थानीय जानकारों के अनुसार बताया जाता है, धारचूला से पिथौरागढ़ व हल्द्वानी तक लगभग दो सौ धर्मशालाओं का निर्माण करवाने वाली इस दानवीर महिला के व्यापारी पति के पास अथाह धन था। यह दौलत महिला के पति ने बोरों में भरकर रखी थी। व्यापारी की असमय मौत के बाद जसुली देवी शौक्याणी ने दान स्वरूप इस धन को बहती नदी के जल में चढ़ाना शुरू कर दिया था, माना जाता है, कि किसी सज्जन व्यक्ति ने जसुली को इस धन का सदुपयोग विभिन्न पैदल मार्गों पर धर्मशालाएं बनवाकर करने की सलाह दी। इसके बाद इस महिला ने धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। ये धर्मशालाएं उन मार्गों पर बनाई गईं, जिनसे भोटिया व्यापारी आवागमन किया करते थे। इसके अलावा, कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर भी उन्होंने धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। निर्माण के लगभग डेढ़ सौ वर्षों तक इन धर्मशालाओं का उपयोग होता रहा। 1970 के आसपास सीमांत तक सड़क बनने के बाद ये धर्मशालाएं उपेक्षित हो गईं। अधिकांश धर्मशालाएं अब खंडहर हो चुकी हैं।
शौक्याणी के बनाए इन धर्मशालाओं के दिन अब बहुरने की उम्मीद है। शासन के रिपोर्ट मांगे जाने पर पिथौरागढ़ पर्यटन विभाग ने इनकी जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी है। पिथौरागढ़ जिले में शौक्याणी की बनवाईं नौ धर्मशालाएं हैं, जिसमें जिला मुख्यालय से करीब 21 किमी की दूरी पर स्थित सतगढ़ गांव की धर्मशाला की स्थिति कुछ ठीक है। यहां रं समुदाय के लोग और स्थानीय जगदीश चंद्र कापड़ी ऐतिहासिक धरोहर की साफ-सफाई कर संरक्षित करने का कार्य करते रहते हैं। इसके अलावा, चंडाक, धारापानी, अस्कोट, चौंदास, नाभीढांग, कुटी सहित कई अन्य स्थानों पर जसुली देवी सौक्याणी की धर्मशालाएं हैं।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक