●नरेंद्र पिमोली●
नमकवाली कंपनी की शुरुआत करने वाली महिला शशि बहुगुणा बताती हैं, हम सिलबट्टे में पिसे नमक को मार्केट में उतारना चाहते थे। चलते साल 2017 में हमने नमकवाली की शुरुआत की। धीरे-धीरे लोगों का अच्छा रेस्पांस मिलने लगा।हमको सोशल मीडिया से भी काफी हेल्प मिली।
उत्तराखण्ड “देहरादून” से सुरुवात की और हमारे साथ तमाम पहाड़ी महिलाएं जुड़ चुकी हैं, और हमारे बनाए खाद्य पदार्थों को बाजार में पहुंचा रही हैं। नमकवाली कंपनी मुख्य रूप से सिलबट्टे पर पिसा नमक तैयार करती है। इसकी खास बात यह है कि ये बिल्कुल नैचुरल व ऑर्गेनिक है। इसके अलावा कंपनी घर का बनाया हुआ घी भी तैयार करती है,
आज में आपको पिस्यूं लूंण के अलावा इस नमक से अपनी जिंदगी में मिठास भरने वाली महिलाओं की कहानी बताएंगे। इन महिलाओं ने ‘नमकवाली’ संस्था के माध्यम से सिलबट्टे में पिसे नमक को देश के कोने-कोने में पहुंचाने का बीड़ा उठाया है, और ये सभी अपने हर मकसद में कामयाब भी होते दिख रहे हैं,
नामी कंपनियों का नमक होगा, देश का, हमारा अपना नमक तो पिस्यूं लूंण (पहाड़ी नमक) है’ सोशल मीडिया पर ये लाइनें अक्सर पढ़ने को मिल जाती हैं। पहाड़ी नमक के स्वाद को सिर्फ शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इसे हम कंपलीट फूड कहें तो गलत नहीं होगा, शहरों में तो हम जैसे लोग पहाड़ी नमक के लिए तरस कर रह जाते हैं।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक