बागेश्वर: कपकोट ब्लॉक के दूर गांव झूनी में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले लगभग 5 साल से एक ही शिक्षक है. 2015-16 में जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण कर हाईस्कूल बनाया गया था. लेकिन यह विद्यालय पिछले 5 साल से केवल एक शिक्षक के सहारे चल रहा है. बागेश्वर के नौनिहालों के साथ सरकार का ये कैसा न्याय है, सरकार की इस उदासीनता से अभिभावक ही नहीं बल्कि बच्चे भी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.
शिक्षा विभाग की नजर कब पड़ेगी उत्तराखण्ड के ऐसे स्कूलों पर जहाँ बच्चों की पढ़ाई के साथ ऐसा मजाक हो रहा है, विद्यालय में 70-75 बच्चों पर केवल दो शिक्षक हैं. एक जूनियर में व एक हाईस्कूल में. हाईस्कूल में यहां पर 40-45 बच्चे हैं. खलझूनी व झूनी दो गांव के 70-75 बच्चे यहां स्कूल पढ़ने आते हैं. ये अध्यापक भी मुख्य विषयों जैसे विज्ञान, अंग्रेजी के नहीं हिंदी विषय के हैं. सरकार की इस उदासीनता से अभिभावक ही नहीं बच्चे भी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन व नेटवर्क न होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पहले ही पूरी तरह से बंद हो चुकी है. अब स्कूल खुलने के बाद अध्यापकों की कमी के कारण सभी परेशान हैं.
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक