मेरठ मासूम ईशानी 21 महीने एक दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर से जूझ रही है. जिंदगी और मौत के विच झुस रही मासूम बच्ची को शनिवार को दिल्ली के एम्स में 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया है. इंजेक्शन निर्माता कंपनी ने ग्लोबल मैनेजर एसे प्रोग्राम के तहत मासूम का चयन होने के बाद इंजेक्शन दिया है. खास बात ये है कि टैक्स समेत इस इंजेक्शन की अंतरराष्ट्रीय कीमत 22 करोड़ रुपये है, लेकिन भारत सरकार ने टैक्स के 6 करोड़ रुपये की छूट दी है. बताया जा रहा है कि इस इंजेक्शन के लगने के बाद ईशानी अब 3 महीने तक दिल्ली के एम्स में डॉक्टरों की निगरानी में रहेगी.
इंजेक्शन की कीमत 22 करोड़
आपको बता दें कि मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके की 21 माह की ईशानी ऐसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रही थी. दिल्ली के एम्स ने ईशानी को एसएमए टाइप टू जानलेवा बीमारी की पुष्टि की थी. डॉक्टरों ने इस बच्ची की जिन्दगी बचाने के लिए ऐसा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. डॉक्टरों ने बच्ची को 22 करोड़ की कीमत का इंजेक्शन लगाने की सलाह दी थी. 22 करोड़ रुपये इकट्टा करना मासूम बच्ची के परिजनों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था. जिसके चलते परिजनों ने न सिर्फ सोशल मीडिया के जरिये मदद मांगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मदद की गुहार लगाई थी. एक तरफ जहां मासूम के माता-पिता बच्ची को लेकर दिल्ली एम्स के चक्कर काट रहे थे, वहीं दादा-दादी बार-बार सरकार से मासूम बच्ची को बचाने की गुहार लगा रहे थे.
जानिए और समझिए क्या है एसएमए बीमारी
एसएमए एक बहुत खतनाक बीमारी है. मासूम बच्ची ईशानी पल-पल इस बीमारी के असहनीय दर्द के साथ जी रही है. ईशानी पिछले एक साल से स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही थी. यह एक जेनेटिक बीमारी है जो जीन में गड़बड़ी होने पर अगली पीढ़ी में पहुंचती है. बच्चे में यह डिसऑर्डर होने पर धीरे-धीरे उसका शरीर कमजोर पड़ने लगता है. इससे बच्चा चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है. शरीर की मांसपेशियों पर बच्चे का कंट्रोल खत्म होने लगता है, इससे शरीर के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पा रहा था
ईशानी के शरीर का मूवमेंट बंद हो गया था
इशानी के परिजनों के मुताबिक ईशानी जब वो 9 माह की थी तो उसके पैरों का हिलना डुलना धीरे-धीरे बंद होने लगा था. ईशानी अब 21 महीने की है. इस बीमारी के कारण उसके पैरों में कोई हलचल नहीं हो पा रही थी. वह चाहकर भी पैरों को बिल्कुल नहीं हिला पाती थी. धीरे-धीरे अब इस बीमारी का असर ईशानी के हाथों में भी आने लगा था, जिससे दायां हाथ बहुत कम ही हिल पा रहा है. मासूम की इस बीमारी से पूरा परिवार परेशानी में था.
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक