आर.जे. काव्य की पहल OHO Radio उत्तराखंड, “मेरे हिल की धड़कन” गूंजने लगी है उत्तराखंड की वादियों में. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया उद्घाटन.
काव्य ने अपनी मातृभूमि उत्तराखंड को एक सौगात देने की बात कही थी. उत्तराखंड”, देवभूमि का पहला डिजिटल रेडियो स्टेशन लाने जा रहे हैं, तो उसे लाखों लोगों ने देखा था और अपना ढेर सारा प्यार और सहयोग ये कहते हुए दिया था की – “आर.जे. काव्य आप आगे बढिये, पूरा उत्तराखंड आपके साथ है.” उस पल आर.जे. काव्य भावुक भी हो गए थे. उस दिन से उनसे यही सवाल पूछा जा रहा था की – ओहो रेडियो को लोग कब सुन पाएंगे? रेडियो अब उत्तराखंड को समर्पित हो चुका है और आप ओहो रेडियो का ऐप्प गूगल प्ले स्टोर और आई फ़ोन के एप्प स्टोर से डाउनलोड कर के सुन सकते हैं. कल तीन फ़रवरी को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने इसका उद्घाटन किया. उन्होंने कहा की – “इंटरनेट के इस ज़माने में जब हर कोई डिजिटल माध्यम से जुड़ रहा है, ऐसे में आर.जे. काव्य द्वारा रेडियो को डिजिटल मीडियम पे लाने की ये कोशिश बहुत सराहनीय है. अब उत्तराखंड की हर बात ओहो रेडियो के ज़रिए पूरे उत्तराखंड के साथ-साथ बाहर रह रहे लोगों तक पहुंचेगी.
.एम. रेडियो के क्षेत्र में पिछले 12 सालों में . काव्य ने जो कुछ भी सीखा, उसे पिछले तीन सालों से उत्तराखंड की भलाई के लिए लगाया. उत्तराखंड की संस्कृति, खानपान, म्यूज़िक, पहनावा, बोलचाल – इन सारी चीज़ों की खोती हुई पहचान को बचाने के लिए आर.जे. काव्य लगातार प्रयास करते आ रहे हैं. काव्य की पहल “एक पहाड़ी ऐसा भी” को देख कर उत्तराखंड के लोगों का ख़ुद को पहाड़ी कहने का गर्व और मज़बूत हुआ. अपने पहाड़ों के लिए कुछ अलग करने का जज़्बा ही है, जिससे आर.जे. काव्य को ओहो रेडियो की शुरुवात करने की प्रेरणा मिली। अब ओहो रेडियो को सफ़ल बनाने की ज़िम्मेदारी आपकी है.
“सोच लोकल, अप्रोच ग्लोबल” का विज़न लिए संगीत, साहित्य, स्पोर्ट्स, करियर, पलायन, समाज और उत्तराखंड की हर बात को ओहो रेडियो अपनी आवाज़ देगा। ओहो रेडियो उत्तराखंड का पहला डिजिटल रेडियो है, जिसे आप ओहो रेडियो का ऐप डाउनलोड कर के कहीं भी सुन सकते हैं. पूरे उत्तराखंड के साथ-साथ दुनिया भर में जहां कहीं भी इंटरनेट चलता है, वहां अब आप ओहो रेडियो को सुना जा सकेगा. हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट अपने उत्तर का पुत्तर आर.जे. काव्य को देते रहिए और सुनते रहिये ओहो रेडियो उत्तराखंड, मेरे हिल की धड़कन।”
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक