आज हिमालय दिवस पूरे उत्तराखंड में मनाया जा रहा है हिमालय दिवस अभियान पहाड़ की बात करें तो, जहां सबसे ज्यादा असर पहाड़ से पलायन का हुवा है, आज हम बात कर रहे चमोली जिले के ऐसे शिक्षक की जिनको पहाड़ में पेड़ वाले गुरु जी के नाम से जाना जाता है,आज तक इन्होंने 14 सालों में 80 हजार से ज्यादा पेड़ लगा दिए है, गुरु जी ने हिमालय दिवस पर कहा कहा, पर्वतों में सबसे युवा पर्वत हिमालय ही है। लेकिन अपने बड़े बुजुर्गो से जो सत्यता सुनने को मिली है,बताते है हमने पहाड़ ऐसा ही देखा ? हां थोड़ा परिर्वतन रहन सहन , खान पान में ज्यादा ही हो गया । अब अपने अपनों को कम पहचानने लगे हैं । पहाड़ में आगनो में कभी क्या रौनक रहतीं थीं ? सुनाने को तो बहुत कुछ है । पर हमारी कोई सुनता नहीं ? हममे जो हैं भी उसे सुनाई नहीं देता ।आज ढूंढ कर भी लोग नहीं मिलते अब वीरान से लगता है जीवन । जिसे हमने संवारा जिसे बनाया , पढ़ लिख कर परदेशी हो गए, इन आंगनो से अब कोई बुढ़ा होगा ? अपने साथ अपनी बुढ़ापा को भी हम लेकर जाएं । नहीं लगता भविष्य में कभी इन आंगनो से फिर कोई बुड्डा होगा । पहाड़ में जिस प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आ रही है पता नहीं किसकी नज़र लग गई । इन पहाड़ो पर जब हम जवान थे हम लोग प्रकृति के उपासक थे । बहुत ख्याल रखते थे प्रकृति रुपी नदी, पेड़ पौधों, जीव जंतु, जंगली जानवरों, जड़ी बूटियों का पूरा ध्यान रखते थे । अपनापन था प्रकृति से और प्रकृति प्रेमी थे हम । आओ एक संकल्प लें हिमालय के प्रति संवेदनशीलता जरूर रखें । जब भी जाना हिमालय की ओर तब कोई कचरा न ले जाना । यदि प्यारी है ये धरा तो इसे स्वच्छ जरुर बनाना ।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक