करवा चौथ स्पेशल स्टोरी (नरेंद्र पिमोली)
सुहागन महिलाओं के लिए करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य व जीवनसाथी अच्छी सेहत एवं दीर्घायु की कामना हेतु इस दिन निर्जला उपवास रखती है।
हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व माना गया है। करवा चौथ विशेषकर भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। देवभूमि उत्तराखंड में विवाहित स्त्रियां अपने जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना हेतु वट सावित्री का उपवास रखती है,
इस वर्ष करवा चौथ पर एक विशेष योग बन रहा है। इस बार रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का पूजन होगा। बता दें कि यह संयोग पूरे 5 साल बाद बन रहा है। करवा चौथ तिथी पर रविवार पड़ने से और भी विशेष फलदाई हो जाएगा क्योंकि रविवार सूर्य को समर्पित है। सूर्य से विशेष ऊर्जा का संचार होता है जिससे मनुष्य आरोग्यता को प्राप्त करता है करवा चौथ का उपवास भी महिलाएं जीवनसाथी की दीर्घायु के लिए रखती है ऐसे में रविवार के दिन करवा चौथ उपवास का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ : 24 अक्टूबर 2021 रविवार को सुबह 03:01 मिनट से प्रारम्भ होकर 25 अक्टूबर 2021 सोमवार को सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर समाप्त।
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा। चंद्रोदय का समय रात्रि 8 बजकर 11 मिनट पर रहेगा। (सभी राज्यों में अलग समय हो सकता है)।
विधि
सूर्योदय से पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि के उपरांत सोलह श्रृंगार करें उपवास का संकल्प लें। सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखें चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें। करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा का विधान है। इस दिन पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी,भगवान शिव और गणेश जी को आसन में बिठाकर। रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप,नैवेद्य पंचामृत, पंच मेवा, पंच मिठाई आदि अर्पित करते हैं।मिट्टी के पात्र में जल भरकर रखें घी का अखंड दीपक जलाएं। व्रत कथा पढ़ सकते हैं।
चावल, सोलह श्रृंगार सामग्री,भेंट मां गौरी को समर्पित करे। पूजा के उपरांत सामग्री को किसी सुहागन महिला को भेंट स्वरूप दे सकते हैं। पूर्ण चंद्रोदय होने पर तब चंद्र दर्शन कर छलनी से देखकर अर्घ्य दें। आरती उतारें ,पति के दर्शन करते हुए पूजा करें। पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें। पति के हाथ से जलपान कर उपवास का पारण करें।
(1-करवा चौथ के विषय में रामचरितमानस के लंका कांड में उल्लेखित वर्णन है कि जो कोई पति पत्नी किसी भी कारणवश एक दूसरे से अलग हो गए हैं करवा चौथ के दिन चंद्र देव की पूजा करके सुहागन स्त्रियां अपने पति के साथ आजीवन रहने की कामना हेतु मां गौरी व चंद्र देव से प्रार्थना करती है।
2- धार्मिक मन्यतानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने करवा चौथ के उपवास का सुझाव द्रौपदी को दिया था जिससे पांडवों पर आये संकट दूर हो सकें)।
छलनी से चंद्र दर्शन करने का कारण*
आपने अक्सर देखा होगा करवा चौथ पर्व पर महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन करती है फिर अपने पति के दर्शन करती हैं इसके पीछे का कारण क्या है। चंद्र देव को सुंदरता, प्रेम,शीतलता का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां छलनी से पहले चंद्र दर्शन फिर अपने जीवनसाथी को निहारती है व चंद्रदेव से पतिदेव की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जैसे छलनी से छलने के बाद किसी भी वस्तु की अशुद्धियां अलग हो जाती हैं। केवल शुद्ध वस्तु ही बचती है ठीक उसी प्रकार करवा चौथ पर महिलाएं अपने प्रेम की शुद्धता हेतु छलनी से चंद्र दर्शन करती है छलनी से चांद को देखकर पति की दीर्घायु और सौभाग्य में बढ़ोतरी की प्रार्थना करती है।
ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक