चारों धामो के कपाट बंद होने की तिथि इस दिन होगी घोषित….. एक क्लिक में देखिए

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उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2024

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि 12 अक्टूबर विजय दशमी के दिन तय होगी।

• परंपरानुसार श्री केदारनाथ धाम एवं श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के दिन बंद होते है।

• श्री गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट गोवर्धन पूजा के दिन बंद होते है।

• द्वितीय केदार मद्महेश्वर तथा तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि भी विजय दशमी के दिन तय होगी।

श्री बदरीनाथ / केदारनाथ धाम/ देहरादून : 8 अक्टूबर। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि शनिवार 12 अक्टूबर को विजय दशमी/ दशहरे के दिन श्री बदरीनाथ धाम मंदिर परिसर में पंचाग गणना पश्चात समारोहपूर्वक तय की जायेगी। कपाट बंद होने की तिथि तय करने हेतु दोपहर साढ़े ग्यारह बजे से कार्यक्रम शुरू हो जायेगी।श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित होने के कार्यक्रम विजय दशमी के अवसर पर श्री बदरीनाथ -केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय विशेषरूप से मौजूद रहेंगे।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि परंपरागत रूप से श्री केदारनाथ धाम के कपाट दीपावली के पावन पर्व के पश्चात भैया दूज को बंद हो जाते है। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी दिन यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद होते है तथा भैया दूज से एक दिन पहले अन्नकूट गोवर्धन पूजा के दिन श्री गंगोत्री धाम के कपाट अभिजीत मुहूर्त में बंद होते है इस यात्रा वर्ष भैयादूज रविवार 3 नवंबर को है तथा अन्नकूट गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर को है श्री गंगोत्री तथा यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि तथा समय की घोषणा श्री गंगोत्री मंदिर समिति तथा यमुनोत्री मंदिर समिति द्वारा पृथक-पृथक रूप से की जाती है ज्ञातव्य है कि पवित्र गुरूद्वारा श्री हेमकुंट साहिब एवं लोकपाल तीर्थ के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो रहे है।

इसी तरह द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट बंद होने की तिथि श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ तथा तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में 12 अक्टूबर विजय दशमी के शुभ अवसर पर घोषित होगी
इसी दिन मद्महेश्वर मेला तथा देव डोलियों के शीतकालीन गद्दीस्थल पहुंचने का कार्यक्रम भी घोषित हो जायेगा साथ ही श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि तथा समय एवं पंच मुखी डोली के श्री केदारनाथ धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ प्रस्थान का भी कार्यक्रम औपचारिक रूप से घोषित हो जायेगा।
बताया कि श्री बदरीनाथ -केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बदरीनाथ धाम, श्री केदारनाथ धाम,श्री मद्महेश्वर, श्री तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि एवं समय घोषित करने के कार्यक्रमों हेतु तैयारियां पूरी कर ली गयी है।

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित होने के कार्यक्रम विजय दशमी के अवसर पर रावल अमरनाथ नंबूदरी, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार एवं सदस्यगण, प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी की उपस्थिति में धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट,पंचांग गणना के अनुसार कपाट बंद होने की तिथि तय करेंगे।

इसी दिन अगले यात्रा काल की भंडार व्यवस्थाओं हेतु कमदी, भंडारी, मेहता थोक के हक-हकूकधारियों को मंदिर समिति द्वारा भंडार व्यवस्था की जिम्मेदारी हेतु सम्मानस्वरूप पगड़ी भेंट की जायेगी।
इस अवसर मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, नायब रावल सूर्यराग नंबूदरी,प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट,राजेंद्र सेमवाल, जगमोहन बर्त्वाल संतोष तिवारी, लेखाकार भूपेंद्र रावत, संदेश मेहता,केदार सिंह रावत अजय सती अनसूया नौटियाल,अजीत भंडारी, सहित हक-हकूकधारी, तीर्थ पुरोहितगण मौजूद रहेंगे।

श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट पूर्व परम्परा के अनुसार इस शीतकाल हेतु 03 नवंबर, 2024 को भाईदूज के दिन प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर बंद किए जाएंगे। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याकारी अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने उक्त जानकारी देते हुए अवगत कराया है कि श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट पूर्व परम्परा के अनुसार इस शीतकाल हेतु 03 नवंबर, 2024 को भाईदूज के दिन प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर बंद किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि श्री केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली यात्रा कार्यक्रम के अनुसार 03 नवंबर को चल-विग्रह डोली केदारनाथ मंदिर से प्रातः 8ः30 बजे प्रस्थान होगी। इसके उपरांत रात्रि विश्राम हेतु रामपुर पहुंचेगी। 04 नवंबर को श्री केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान होगी तथा फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रिw विश्राम हेतु श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 05 नवंबर को चल-विग्रह डोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रातः 8ः30 बजे प्रस्थान कर प्रातः 11ः20 बजे अपने शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी तथा पूर्व परम्परा के अनुसार अपने गद्दी स्थल पर विराजमान होंगी।

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