पिथौरागढ़ नगर के पुराना बाजार की होली बनी सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल
हिंदू गाते हैं होली, मुस्लिम देते हैं ढोल पर थाप
पिथौरागढ़ नगर के पुरानी बाजार में हिंदू होली के गौतगड़ते हैं और मुस्लिम दोल पर बाप देते हैं। वर्षों से जारी सांप्रदायिक सौहाई की यह मिसाल पौड़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती जा रही है।
पुराना बाजार की होली का इतिहास करीब सौ साल पुराना है। लोग बताते है, वहां मथुरा से चीर लाई गई। तब से पुराना बाजार के चौक पर धीर स्थापित करने और होली की परंपरा शुरू हुई। यहां पास में ही रहने वाले मीर वजीर अली के परिवार के लोग भी शामिल होने लगे। आज भी
मुस्लिम समुदाय के लोग धीर लगाने से लेकर होली के समापन तक होली गायन के दौरान ढोल बजाते हैं। मीर जीर अली और अफजल अली (दोनों अब दिवंगत), अख्तर अली,
01 सौ साल से चली आ रही उत्साह से निभा रहे
दोनों ही सम्प्रदाय के लोग सद्भाव के साथ मिलकर मनाते हैं होली का त्योहार अली, सलीम खान होली में भागीदारी करते रहे।इन परिवारों के आज की पीढ़ी के युवा सिकंदर अली, भोला तोहरा अली समेत अन्य लोग होली गायन के
दौरान दोल वादन करते हैं। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वर्मा कहते हैं कि पुराना बाजार की होली सामाजिक सद्भाव की बड़ी मिसाल है। यह आयोजन पिथौरागढ़ जिले को अहम विरासत है। भविष्य में भी यह परंपरा इसी तरह चलती रहनी चाहिए। एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अकबर खान का कहना है कि पुराना बाजार की होली को दोनों समुदाय के लोग सालोखाल से मिल-जुलकर मनाते रहे हैं। ऐसे त्योहार एक-दूसरे के प्रति अपनत्य और भाईचारे को और मजबूत करते हैं।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक