पत्रकारों से वार्ता करते हुए पुलिसकर्मियों ने परिजनों ने कहा कि सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है।
मुख्यमंत्री ने पिछले साल पुलिस स्मृति दिवस के कार्यक्रम में 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद सरकार ने दो लाख रुपये देने का शासनादेश जारी कर दिया। यह बिल्कुल घोषणा के उलट था
ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मियों के परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें एक सिपाही चमोली एक उत्तरकाशी और दो देहरादून में तैनात हैं। कार्रवाई के विरोध में भी सोमवार को परिजन पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन बाद में डीजीपी अशोक कुमार के समझाने के बाद लौट गए। रविवार को कुछ पुलिसकर्मियों के परिजनों ने पत्रकार वार्ता की। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का इल्जाम लगाया और आंदोलन की चेतावनी दी थी।
वही इसके बाद से पुलिस विभाग में खलबली मच गई। इस पर खुफिया तंत्र भी अलर्ट हो गया और उन सिपाहियों के बारे में पता किया गया।सिपाहियों पर कार्रवाई आचरण नियमावली के तहत की गई है। नियमावली की धारा 5 (2) और 24 (क) में ऐसे प्रावधान हैं। इन धाराओं में व्याख्या है कि कोई पुलिसकर्मी किसी संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता है। धारा 24 में बताया गया कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सिवाय उचित माध्यम से और ऐसे निर्देशों के अनुसार जिन्हें राज्य सरकार समय-समय पर जारी करे, निजी रूप से या अपने परिवार के किसी सदस्य के माध्यम से सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी को कोई आवेदन नहीं करेगा। डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर चमोली पुलिस लाइन में तैनात सिपाही दिनेश चंद, एससीआरबी देहरादून में तैनात सिपाही हरेंद्र सिंह, देहरादून में ही तैनात मनोज विष्ट और एसडीआरएफ उत्तरकाशी में तैनात कुलदीप भंडारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद सभी को चेतावनी भी जारी की गई है।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक