तीरथ सिंह के लिए अतिरिक्त संकट का विसय ये भी है वे विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से कम समय रह गया है और ऐसी स्थिति में कोई सीट खाली भी हो जाए तो भी उस पर उपचुनाव नहीं हो पाएगा, इसलिए उत्तराखण्ड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन या फिर राष्ट्रपति शासन का ही विकल्प बच सकता है।ममता की तरह उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का भविष्य भी अधर में लटक गया है। तीरथ सिंह रावत को भी 10 सितम्बर तक विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी है, जो कि समयाभाव के चलते कठिन लग रहा है।
ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल कर तीसरी बार राज्य की सत्ता तो हासिल कर ली, मगर नन्दीग्राम से उनकी हार अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। अगर उन्हें 4 नवम्बर तक विधानसभा की सदस्यता नहीं मिली तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी, जिसके आसार निर्वाचन आयोग की कोरोना महामारी के टलने तक उपचुनाव टालने की घोषणा से साफ नजर आ रहे हैं।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक