स्कूल में पढ़ने वाली 14 वर्षीय छात्रा का विवाह 32 वर्षीय युवक से जबरन कर दिया जााता है, ऐसी मासूम बच्ची कैसे दरिंदों के हाथ बेची जा रही है और हम देवभूमि तमगा लहराने में मगन हैं ! वर्तमान प्रकरण के सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद हलचल तो हुई है। स्वयं ऐसी घटनाएं जिसमें क्षेत्रों और दूसरे प्रदेशों से बच्चियों और युवतियों को शादी के नाम पर ले जाया जाता है और बाद में उनका क्या होता है,पता नहीं।इस मामले में उपेंद्र सती ने साहस दिखाया। परंतु जहां समाज चुप्पी ओढ़ ले रहा है,वहां मासूमों को कौन बचाएगा ? इस मामले में शासन-प्रशासन को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि मामले का खुलासा करने वाले शिक्षक को प्रोत्साहित किया जाये,कानूनी मकड़जाल में उलझा कर उन्हें ऐसे हैरान-परेशान न किया जाये कि उन्हें लगने लगे कि शायद वे कोई गलती कर बैठे हैं ! यह आवश्यक है कि इस प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही हो। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि इस तरह शादी के नाम पर चल रहे मानव तस्करी के खेल की जांच हो,अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही हो और मासूमों को शादी के नाम पर बेचने का यह सिलसिला बंद हो।
आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा का जबरन विवाह कर दिया गया। जबकि बच्ची बिना माँ है और पिता को छह हजार रुपये जैसी मामूली रकम थमा कर नाबालिग बच्ची का विवाह देहारादून में एक फ़ैक्ट्री में काम करने वाले 32 वर्ष के व्यक्ति से कर दिया गया।उक्त बच्ची के स्कूल न आने पर शिक्षक उपेंद्र सती ने जब दरियाफ़्त किया तो सारा माजरा पता चला। परीक्षा दिलवाने के लिए लड़की को वापस बुलाने का दबाव लड़की के पिता पर उन्होंने बनाया। छात्रा वापस आई तो शिक्षक उपेंद्र सती को जो उत्पीड़न की दास्तान उसने सुनाई,वह भयावह है। छात्रा ने शिक्षक को बताया कि जिससे उसका विवाह किया गया है,वह शराब पीता है, उससे मारपीट करता है। उसे शारीरिक ही नहीं मानसिक प्रताड़ना देने के लिए खुले में चप्पल से तक पीटता है। वह बताती है कि होली के दिन उस पर मिट्टी का तेल छिड़क कर जलाने की कोशिश तक उसके इस तथाकथित पति ने की।तथाकथित पति इसलिए कहा जा रहा है क्यूंकि बाल विवाह अवैध है।लड़की ईमानदारी से बताती है कि लड़के की माँ ने जब उसे मारपीट करने से रोकने की कोशिश की तो उसने अपनी माँ से भी मारपीट और गाली-गलौच की। लड़की की मासूमियत देखिये कि इतनी प्रताड़ना और अपमान के बावजूद जब शिक्षक उपेंद्र सती उससे बार-बार पूछते हैं कि वह अब क्या कार्यवाही चाहती तो बच्ची सिर्फ इतना ही बोलती है कि वह,वहाँ नहीं जाना चाहती।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक