●नरेंद्र पिमोली●
देशभर में होली का उल्लास चरम पर है।लेकिन, रूद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लाॅक में तीन ऐसे गांव हैं, जहां आज भी होली नहीं मनाई जाती। क्वीली, कुरझण और जौंदला नामक इन गांवों के लोगों का कहना है कि 372 साल पहले जम्मू-कश्मीर से कुछ पुरोहित परिवार अपने यजमानों और काश्तकारों के साथ यहां आकर बसे थे। उनके पूर्वज अपनी ईष्टदेवी की मूर्ति और पूजन सामग्री भी साथ लेकर आए थे, जिन्हें गांव में स्थापित किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कुलदेवी को होली का हुड़दंग और रंग पसंद नहीं है। इसलिए, वे पिछले तीन सदी से भी ज्यादा से होली का त्योहार नहीं मना रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन गावों के बच्चों को होली पसंद नहीं है। वे इस त्योहार को मनाना चाहते हैं, लेकिन गांवों में चली आ रही पुरानी परंपरा की वजह से वे होली से दूरी बनाए हुए हैं।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक