नरेंद्र पिमोली
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटा तो कई घरों से चिराग बुझ गए। 150 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। गुजरते पल के साथ तमाम तरह की आशंकाएं पैदा हो रही हैं, लेकिन पूरा देश एकजुट होकर इन लोगों के लिए दुआएं कर रहा है। दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी खुशनसीब हैं, जो मौत को मात दे चुके हैं। जी हां, 2013 के बाद रविवार सुबह 10 से 11 बजे के बीच प्रदेश में एक बार फिर जल प्रलय आई।
चमोली के तपोवन इलाके में एनटीपीसी का प्रोजेक्ट भी इसकी चपेट में आ गया। यहां एक टनल का काम चल रहा था और उसमें कई मजदूर पानी के साथ आए मलबे में दब गए। कुछ देर बाद देवदूत बनकर ITBP के जवान पहुंचे। जिंदगियों को बचाने का यह ऑपरेशन इतना आसान नहीं था।
छुट्टी और दिन का वक्त होने से नुकसान हुआ कम
रविवार की छुट्टी और दिन का वक्त होने की वजह से आपदा का नुकसान काफी कुछ कम रहा। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह आपदा रात के वक्त आती तो तबाही और भी भयावह हो सकती थी। मालूम हो कि वर्ष 2013 में केदारनाथधाम की आपदा रात के वक्त आई थी। रात का वक्त होने से लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिल पाया। केदारनाथ आपदा में हजारों लोग मौत का शिकार बने थे
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक