सन् 1931 में लंदन की सड़कों पर कड़कड़ाती सर्दी में अपने जर्जर शरीर को अपने हाथों से काते गये सूत से बनी खादी से ढके पैरों में मामूली चप्पल पहने अदम्य साहस और उत्साह से भरा हुआ अपने द्वारा गढ़े गये सिद्धांतों को अपने आचरण में जीता हुआ अजानबाहु अपने चिरपरिचित लंबे कदम भरते हुए भारत के संवैधानिक सुधारों के संदर्भ में होने वाली उस कान्फ्रेस में हिस्सा लेने के लिए बढ़ा चला जा रहा है…. हो सके तो इस तस्वीर पर दो पल ठहर कर सोंचियेगा और गर्व महसूस कीजिएगा आप उस देश में निवास करते हैं जहां मोहनदास करमचंद गांधी पैदा हुए थे। वायसराय लार्ड माउन्ट बेटन ने गांधी जी की हत्या पर कहा था – “ब्रिटिश हुकुमत अपने काल पर्यन्त कलंक से बच गई, आपकी हत्या आपके देश, आपके राज्य,आपके लोगों ने की है ।यदि इतिहास आपका निष्पक्ष मूल्यांकन कर सका, तो वो आपको ईसा और बुद्ध की कोटि में रखेगा।कोई कौम इतनी कृतघ्न और खुदगर्ज कैसे हो सकती है जो अपने पिता तुल्य मार्गदर्शक की छाती छलनी कर दे। ये तो नृशंस बर्बर नरभक्षी कबीलों में भी नहीं होता है और उस पर निर्लज्जता ये कि हमें इस कृत्य का अफसोस तक नहीं है।”
महेश जोशी के फेसबुक से
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक