गरुड़: लचर स्वास्थ्य सेवाओं ने एक महिला की जान ले ली। इससे जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई है। इस घटना से ग्रामीणों में तीव्र आक्रोश व्याप्त है।
गत बुधवार को लौबांज ग्राम पंचायत में भोजगढ़ निवासी 28 वर्षीय रीता पत्नी गोविंद सिंह को प्रसव पीड़ा के चलते मोहन सिंह मेहता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ ले गए। जहां महिला की डिलीवरी हुई और उसने एक शिशु को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद महिला का रक्तस्राव नहीं रुका। दो दिन अस्पताल में रखने के बाद बैजनाथ से चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। दो दिन महिला का जिला अस्पताल बागेश्वर में भी इलाज चला। शनिवार की देर सायं जिला अस्पताल से चिकित्सकों ने रीता को अल्मोड़ा के लिए रेफर कर दिया। जहां देर रात्रि महिला ने बेस अस्पताल में दम तोड़ दिया। महिला
मृतका रीता की चार वर्ष की लड़की अभिश्री है। जो केजी में पढ़ती है। वह मां की मौत होने से अभी भी बेखबर है। उसे अभी भी मां के लौटने का इंतजार है। मृतका का पति गोविंद सिंह प्राइवेट नौकरी करता है। एक सप्ताह पहले ही वह घर आया है। भोजगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता करन सजवान ने बताया कि अबोध मासूम अभी बेस अस्पताल अल्मोड़ा में ही है।
रीता की मौत की खबर सुनकर स्वजन में कोहराम मच उठा। स्वजन का रो- रोकर बुरा हाल है।
रेफरल सेंटर बन गया है बैजनाथ अस्पताल
सीएचसी बैजनाथ महज रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। स्वास्थ्य सेवाओं का टोटा बताकर यहां से अधिकांश मरीजों को हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। जिससे आए दिन लोग असमय जान गवां रहे हैं। ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष एडवोकेट गिरीश कोरंगा ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि बैजनाथ अस्पताल असुविधाओं का शिकार होकर रह गया है। आए दिन चिकित्सकों के आपसी विवाद के चलते लोग अपनी जान गवां रहे हैं। देखने व सुनने वाला कोई नहीं है। बीसूका के पूर्व उपाध्यक्ष भुवन पाठक, प्रधान संगठन के हिमांशु खाती, सिविल सोसायटी के एडवोकेट डीके जोशी, उमाशंकर भाकुनी, कै. पुष्कर बिष्ट, प्रकाश कोहली ने घटना पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बैजनाथ अस्पताल को शीघ्र आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाना जाए।
महिला की गमगीन माहौल में सरयू
गोमती संगम बागेश्वर में अंतिम तहत
संस्कार कर दिया गया।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक