●नरेंद्र पिमोली●
उत्तराखंड के जिला बागेश्वर की कत्यूर घाटी के बीच स्थित मां कोट भ्रामरी मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है।
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इसका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है।
मां नंदा माँ भगवती व सुनंदा के इस धार्मिक केंद्र में हर साल चैत्राष्टमी व भादौ के महीने विशाल मेले का आयोजन होता है। इस दौरान श्रद्धालुओं की तरफ से विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।और माँ भगवती के भक्त जो भी मन्नतें मांगते है माँ उन्हें अवश्य पूरा करती है,पहले माँ भगवती के दरबार में बलि प्रथा थी जो अब प्रशासन ने बन्द करवा दी है,
माना जाता है कि 2500 ईसा पूर्व से लेकर 700 ईसा तक कमाऊं पर कत्यूरी राजवंश का शासन था। इसी दौरान कत्यूर घाटी में एक किला स्थापित किया गया। यहीं स्थित है मां भगवती मंदिर, जिसमें मां नंदा की मूर्ति स्थापित है। जन श्रुतियों के अनुसार कत्यूरी राजाओं और चंद वंशावलियों की कुलदेवी भ्रामरी और प्रतिस्थापित नंदा देवी की पूजा-अर्चना इस मंदिर में की जाती है। मंदिर में भ्रामरी रूप में माँ भगवती की पूजा अर्चना मूर्ति के रूप में नहीं, बल्कि मूल शक्ति के अनुसार की जाती है।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक