अल्मोड़ा बस हादसे में ‘अनाथ’ हुई 3 साल की शिवानी, मां-बाप की गई जान, बिलखती रही मासूम
अल्मोड़ा बस हादसे के बाद मम्मी-पापा चिल्लाती रही 3 साल की शिवानी, मां-बाप की हो चुकी थी मौत, अस्पताल में चल रहा शिवानी का उपचार
रामनगर: उत्तराखंड के अल्मोड़ा बस हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया है. इस हादसे में 36 लोगों की असमय ही दर्दनाक मौत हो गई. जिसमें शिवानी रावत के माता-पिता भी शामिल थे. जिनकी इस हादसे में मौत हो गई. जबकि, 3 साल की शिवानी गंभीर रूप से घायल हो गई, लेकिन गनीमत से उसकी जान बच गई. उस वक्त लोगों की आंखें छलक गई, जब खून से लथपथ शिवानी अपने माता-पिता को खोजती रही और मम्मी-पापा चिल्लाती रही, लेकिन उसे क्या पता उसके माता-पिता अब इस दुनिया में ही नहीं रहे.
शिवानी रावत ने खोए माता-पिता: जानकारी के मुताबिक, पौड़ी गढ़वाल के दिगोलीखाल की बिरखेत रहने वाली शिवानी रावत (उम्र 3 वर्ष) अपने पिता मनोज रावत और माता चारू देवी के साथ दीपावली का त्योहार मनाने गांव आई हुई थी. जो दिवाली मनाकर आज बस में सवार होकर रामनगर जा रही थी. तभी रास्ते में बस हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे में शिवानी के पिता और माता की मौत हो गई. जबकि, मासूम शिवानी रावत गंभीर रूप से घायल हो गई.
मम्मी-पापा चिल्लाती रही घायल शिवानी: वहीं, घायल शिवानी रावत को अन्य घायलों के साथ रामनगर के रामदत्त जोशी राजकीय संयुक्त अस्पताल लाया गया. जहां उसका उपचार किया गया. इस दौरान अपने माता-पिता को खो चुकी घायल शिवानी मम्मी-पापा चिल्लाती रही. शिवानी को गंभीर चोटें आई है. उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश भेज दिया गया.
शिवानी रावत के परिजन मदनमोहन सिंह रावत ने बताया कि शिवानी रावत के पिता मनोज रावत रामनगर में उद्यान विभाग में कार्यरत थे. जबकि, माता चारू देवी गृहणी थी. अब शिवानी रावत के घर में एक चाचा और दादी मौजूद हैं. वहीं, हादसे की सूचना पर शिवानी रावत के नाना भी एम्स ऋषिकेश के लिए रवाना हो गए हैं. शिवानी के अलावा इस हादसे में कई परिवारों के घरों के चिराग बुझ गए.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ली शिवानी की देखरेख और शिक्षा की जिम्मेदारी
*कल अल्मोड़ा के मार्चुला में हुए बस हादसे से हम सभी के हृदय को गहरा आघात पहुंचा है। इस कठिन समय में हमारी सरकार ने दुर्घटना में अपने माता-पिता को खोने वाली शिवानी बिटिया की देखभाल और शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने का संकल्प लिया है, ताकि वह जीवन में आगे बढ़कर स्वयं और माता-पिता के सपनों को साकार कर सके।*
*इस दु:खद घटना में जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। एक मुख्यसेवक और परिवार के सदस्य के रूप में, मैं इस पीड़ा को समझता हूं।*
*हमारा कर्तव्य है कि ऐसे विपरीत समय में एकजुट होकर प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान करें और उनके जीवन को पुनः स्थिरता देने में अपना योगदान दें।*
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक