करोड़ों का सामान दुकानों पर रखा पर सुरक्षा के इंतेजाम नाकाफी
*शोरूम/ ज्वैलरी शॉप संचालकों द्वारा सुरक्षा मानकों की लगातार कि जा रही अनदेखी*
*क्या हर दुकान पर पुलिस को लगाया जाना है संभव ?*
*देश भर में विभिन्न राज्यो पर रिलायंस ज्वैलरी शोरूम में लगातार हो रही लूट की वारदातें, पर बावजूद इसके लगातार की जा रही सुरक्षा मानकों की अनदेखी, क्या इसके पीछे इंश्योरेंस क्लेम का खेल तो नहीं*
रिलायंस शोरूम लूट प्रकरण में शोरूम संचालक की भी बड़ी लापरवाही परिलक्षित हुई है। उक्त शोरूम संचालक द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए शोरूम में करोड़ों की ज्वैलरी होने के बावजूद भी मात्र एक महिला गार्ड को डंडे के साथ सुरक्षा हेतु नियुक्त किया गया था, इसके अतिरिक्त शोरूम के अंदर कोई अलार्म सिस्टम नहीं लगाया गया था, जिससे किसी इमरजेंसी के समय पुलिस तथा अन्य लोगों को सूचित किया जा सके जबकि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में एक साल के अंदर रिलायंस ज्वैलरी शॉप पर डकैती की बड़ी वारदात होने पर भी कोई मानक नही अपनाई गए, इसी प्रकार शहर के विभिन्न स्थानों में नित्य नई खुल रही ज्वेलरी शॉप में भी सुरक्षा मानकों की लगातार अनदेखी की जा रही है। संचालको द्वारा अपनी दुकान में बहुमूल्य आभूषण/सामान रखने के बावजूद भी स्वयं सुरक्षा के समुचित प्रबंध नहीं किये जा रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक दुकान पर पुलिसकर्मी को नियुक्त करना संभव नही है। तो-
क्या शोरुम / ज्वैलरी शॉप संचालकों को स्वयं की भी जिम्मेदारी समझते हुए सुरक्षा के समुचित प्रबंध
सुनिश्चित नहीं करने
चाहिये ?
क्या इतनी बड़ी कंपनी द्वारा सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति करने का कोई नया पैंतरा तो नही, क्या इंश्योरेंस क्लेम का कोई बड़ा खेल तो नही,,
क्या सुरक्षा मानको के साथ खिलवाड़ के लिए भी जिम्मेदार केवल पुलिस ?
*रिलायंस ज्वैलरी शोरूम प्रकरण में पुलिस की जांच में संधिक्त गैंग की मोडस ऑपरेंडी आयी सामने*
*गैंग द्वारा बिहार तथा पश्चिम बंगाल की जेल में बंद नए लड़कों को लूट की घटना के लिए किया जाता था हायर*
*प्रत्येक टॉस्क के लिए 5 से 10 लाख रुपए की एडवांस में की जाती थी पेमेंट*
*गैंग लीडर द्वारा हर घटना के लिए अलग-अलग लड़कों का किया जाता था इस्तेमाल, गैंग के सदस्यों की एक- दूसरे से नहीं रहती थी कोई पहचान*
*घटना के लिए वाहनों, मोबाइल तथा हथियारों का गैंग लीडर द्वारा ही किया जाता था इंतेजाम*
*घटना के समय गैंग के सदस्य केवल गैंग लीडर से ही रखते थे संपर्क*
*लूटी गई ज्वैलरी की लिखा पड़ी में जानकारी करने तथा डॉक्यूमेंट वेरीफाई करने के बाद आंकी गई अनुमानित कीमत लगभग 14 करोड रुपए*
रिलायंस ज्वैलरी शोरूम लूट प्रकरण में पुलिस की अब तक कि जांच प्रकाश में आया है कि बिहार तथा पश्चिम बंगाल की जेल में विभिन्न अपराधों में बंद नए लड़कों को गैंग लीडर द्वारा चिह्नित कर उन्हें पेमेंट बेस पर हायर किया जाता है। गैंग के सदस्य एक दूसरे को नहीं जानते हैं तथा हर टॉस्क के लिए उन्हें 5 से 10 लाख रुपए की पेमेंट एडवांस में गैंग लीडर द्वारा की जाती है। गैंग लीडर द्वारा हर घटना के लिए अलग-अलग लड़कों का इस्तेमाल किया जाता है तथा घटना को करने से पूर्व उन्हें हथियार, वाहन तथा मोबाइल गैंग लीडर द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। घटना के समय गैंग के अन्य सदस्यों को आपस में कोई संपर्क नहीं रहता, वह केवल गैंग लीडर के संपर्क में रहते हैं।
रिलायंस ज्वेलरी शोरूम में लूटी गई ज्वैलरी की लिखा पड़ी में जानकारी करने तथा उपलब्ध कराए गए कागजों को वेरीफाई करने पर आभूषणों की कीमत 14 करोड़ रुपये होना ज्ञात हुआ है।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक