उत्तरकाशी,
भेड़ू कू तमाशू‘
खबर जिला उत्तरकाशी। सुदूर डांडी-कमद क्षेत्र से है जहां तीन दिवसीय भेड़ों के मेले का आज समापन हुआ जिसमें बतौर मुख्यातिथि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा पहुंचे उन्होंने कहा कि है कि मेले हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के जीवंत प्रतीक हैं और उत्तरकाशी जिले के सुदूर डांडी-कमद क्षेत्र के लोगों ने अपनी ‘भेड़ू कू तमाशू‘ जैसी परंपरा के जरिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखा हैै पशुपालन की समृद्ध पंरपरा एवं संस्कृति से जुड़े ‘भेड़ू कू तमाशू‘ मेले के त्रैवार्षिक आयोजन के समापन समारोह में बोल रहे थे। बहुगुणा ने कहा कि भेड़-बकरी पालन को बढावा देने के लिए सरकार के द्वारा गोट वैली योजना संचालित कर पांच बकरी खरीदने वाले लाभार्थी को सरकार के द्वारा दस बकरी एवं एक बकरा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इसी तरह नस्ल सुधार के लिए आस्ट्रेलिया से आयातित नर मेरिनो भेड़ भेड़पालकों को 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराई जा रही है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को 90 प्रतिशत अनुदान पर दस-दस भेड़ उपलब्ध कराने की योजना चलाई जा रही है।
वी ओ 2 जिले की गाजणा पट्टी के दूरस्थ ठांडी गांव के बौल्याधार में बहुप्रसिद्ध पारंपरिक मेला ‘भेड़ू कू तमाशू‘ (भेंड़ों का उत्सव) का आयोजन हर तीसरे वर्ष होता है। लोक देवता बौल्यानाग, हरि महाराज तथा अन्य लोक देवताओं की डोलियों व धार्मिक प्रतीकों के सानिध्य में इस आयोजन में पशुधन की समृद्धि और लोक मंगल की कामना करते हुए पूजा-अर्चना करने के साथ ही बुग्यालों से लौटी हजारों भेंड़ों के झुंडों के साथ पशुचारकों द्वारा बौल्याधार स्थित मंदिर परिसर की परिक्रमा की जाती है। आज भी मेले के समापन पर हजारों भेड़ों के साथ यह अनूठी परंपरा निभाई गई। पशुपालन मंत्री ने इस मौके पर भेड़ों की आगवानी करने के साथ ही मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस मौके पर देव डोलियों व निशानों के नृत्य के साथ ही पारंपरिक लोकनृत्यों का आयोजन भी किया गया। जिले के गाजणा, धनारी व नाल्ड कूठड़ पट्टी के गांवों के साथ ही टिहरी जिले के थाती कठूड़, आरगढ, गोनगड, उपली रमोली आदि पट्टियों के हजारों ग्रामीण इस मेले में भाग लेने के लिए पहॅुंचे थे।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक