उत्तराखंड में भाजपा को लगा तगड़ा झटका, बद्रीनाथ से लखपत और मंगोलर से काजी ने मारी बाजी….

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बदरीनाथ उपचुनाव : जमीन पर “बैक फायर” कर गई “हवाई ज्वाइनिंग”

बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि अब हवा में राजनीति करने वालों को जनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। बदरीनाथ में जनता ने साफ कर दिया कि जबरन थोपे गए प्रत्याशियों के जमाने लद चुके और मंगलौर ने बता दिया कि यदि चुनाव शिद्दत से लड़ा जाए, तो मुकाबले इस कदर सांस रोकने वाला हो सकता है। बदरीनाथ में भाजपा जनता का मिजाज भांपने में विफल रही। लोकसभा चुनाव में ही अंदरखाने बह रही हवा का वो आंकलन नहीं कर पाई और विधानसभा उपचुनाव में गलत प्रत्याशी पर दांव खेलने का खामियाजा हार के रूप में भुगतना पड़ा। जबकि मंगलौर में हार के बावजूद भाजपा के ऐतिहासिक प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया है।

बदरीनाथ के नतीजों ने उन लोगों को भी करारा जवाब दिया है, जो लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के भाजपा में शामिल होने को मास्टर स्ट्रोक बता रहे थे। हालांकि कुछ आउट साइडर्स की हवाई ज्वाइनिंग के कारण भाजपा को लोकसभा चुनाव में गढ़वाल सीट पर तकरीबन दो लाख वोट का नुकसान उठाना पड़ा। नाटकीय अंदाज में भंडारी के बीच में ही विधानसभा सीट छोड़ने से बदरीनाथ क्षेत्र की जनता ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया। जिस राजेंद्र भंडारी को उन्होंने चुनाव जीता कर विधानसभा भेजा, वही उन्हें बीच रास्ते में छोड़ गया और उल्टा उन पर विधानसभा के उपचुनाव का बोझ डाल गया। भंडारी के इस फैसले को लेकर बदरीनाथ क्षेत्र में इस कदर नाराजगी थी कि भंडारी खुद तो भाजपा में आए, लेकिन उनकी एक आवाज पर खड़े रहने वाले लोगों ने उनके साथ आने से साफ इंकार कर दिया।

भंडारी के खिलाफ इस नाराजगी को भाजपा भी लोकसभा चुनाव में समय रहते समझ गई थी। यही वजह रही जो लोकसभा चुनाव में भंडारी का प्रचार में ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया गया। भंडारी लोकसभा चुनाव में भी अपनी पकड़ वाले क्षेत्रों में भाजपा को जीत नहीं दिला पाए थे। हालांकि भंडारी को प्रचार से पीछे रखने का लाभ ये मिला कि लोकसभा चुनाव में भाजपा बदरीनाथ सीट पर लगभग 8 हजार वोट से आगे रही। उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी चयन के मामले में चूक कर गई। भंडारी के खिलाफ जनता में भारी नाराजगी की जानकारी होने के बावजूद उसने क्यों प्रत्याशी चयन में जमीनी हकीकत को दरकिनार कर दिया। भाजपा कैडर भी भंडारी और भंडारी भी भाजपा कैडर से तालमेल नहीं बैठा पाए।

भाजपा कार्यकर्ता भंडारी के साथ खुल कर इसीलिए नहीं जुड़ पा रहे थे, क्योंकि जिस भंडारी परिवार के भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपाई गली गली में पांच साल हल्ला मचाए हुए थे, वे आखिर किस मुंह से उसी भंडारी का गुणगणान कर सकते थे। जहां उन्होंने ऐसा प्रयास किया भी, वहां जनता ने ही उन्हें तवज्जो नहीं दी। राजनीतिक जानकार भी भंडारी की भाजपा में ज्वाइनिंग को लेकर सकते में थे। सभी का तर्क था कि गढ़वाल भाजपा का अभेद दुर्ग रहा है। ऐसे में इस सीट को जीतने को लेकर क्यों इतनी हायतौबा मचाई गई। इसका लाभ होने के बजाय भाजपा को पहले लोकसभा चुनाव में दो लाख वोटों का नुकसान हुआ और अब उसे बदरीनाथ सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा।
क्योंकि भाजपा को लेकर जनता में कोई नाराजगी नहीं है। यदि नाराजगी होती, तो जनता दो महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत से चुनाव न जिताती। उसी जनता ने भाजपा को मंगलौर में लगभग इतिहास रचने के करीब पहुंचा दिया। जिस मंगलौर सीट पर भाजपा हमेशा तीसरे नंबर पर बेहद दयनीय स्थिति में रहती थी, वहां इस चुनाव में भाजपा महज 400 वोटों से ही पीछे रही। भाजपा को पिछली बार 2022 के मुकाबले 2024 के उपचुनाव में दोगुना वोट मिले। इससे साफ है कि जनता में न सरकार और पार्टी संगठन को लेकर कोई नाराजगी रही। नाराजगी रही, तो सिर्फ गलत प्रत्याशी चयन को लेकर।

बदरीनाथ विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला 5224 मतों से चुनाव जीते गए है। कांग्रेस उम्मीदवार को कुल 27696, बीजेपी उम्मीदवार को 22691 मत मिले।

जीत के बाद उन्होंने जीत का श्रेय बद्रीनाथ की जनता को दिया है। उन्होंने कहा जिस प्रकार से यह जनता पर जबरदस्ती थोपा गया चुनाव था, जनता ने अपना जनादेश देकर बता दिया कि जो जनता के जनादेश का अपमान करेगा उसको मुंह की खानी पड़ेगी। उन्हें कहा कि बद्रीनाथ विधानसभा के सर्वाधिक विकास के लिए हर संभव काम करेंगे। जीत के बाद कांग्रेसियों ने जमकर जश्न मनाया।

उत्तराखंड के दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है आपको बता दें कि कांग्रेस के प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने मंगलोर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भडाना को 449 वोटो से हराकर जीत दर्ज की वही बद्रीनाथ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला ने भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भंडारी को 5 हजार से ज्यादा वोटो से हराकर जीत दर्ज की हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भाजपा के पास यह दोनों सीटे नहीं थी मंगलौर की सीट बसपा के पास थी वह अब कांग्रेस के पास चली गई है और बद्रीनाथ विधानसभा की सीट पहले भी कांग्रेस के पास थी और आज जीत दर्ज करने के बाद फिर से कांग्रेस के पास ही गई है ऐसे में भाजपा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है ।

अयोध्या के बाद भाजपा के बदरीनाथ सीट भी हार जाने के कई मायने निकाले जा रहे है। मंगलौर सीट पर भाजपा का कभी कब्जा नहीं रहा, लेकिन बदरीनाथ सीट खास थी। प्रदेश में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम सामने आने के साथ ही भाजपा को झटका लगा है। मंगलौर के साथ ही भाजपा बदरीनाथ सीट भी हार गई। मंगलौर सीट पर भाजपा ने करतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था, लेकिन भड़ाना कांग्रेस प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन से मात खा गए। वहीं बदरीनाथ में भाजपा ने राजेंद्र भंडारी पर भरोसा जताया था, लेकिन कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला से भंडारी मात खा गए।बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनों पर विश्वास जताया था। पार्टी ने दोनों सीटों पर उन चेहरों को मैदान में उतारा, जो कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन चेहरों पर दांव लगाया, वो दोनों ही उसकी सांगठनिक नर्सरी से नहीं थे।

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