जीबीपीआईईटी के सिविल विभाग के विभागाध्यक्ष ने निदेशक पर उत्पीड़न और अनुचित दबाव का आरोप लगाया
पौड़ी गढ़वाल: जीबी पंत इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. भीष्म सिंह खाती ने संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. वी.एन. काला पर उत्पीड़न, अनुचित दबाव और प्रशासनिक लापरवाही के आरोप लगाए हैं। डॉ. खाती ने इस संदर्भ में उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजी है, जिसमें उन्होंने बताया है कि निदेशक द्वारा उनके खिलाफ द्वेषपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।
डॉ. खाती का कहना है कि उन्हें पिछले साल नवंबर में सिविल मेंटेनेंस का कार्यभार सौंपा गया था। इसके बाद, जून 2024 में, उन्हें करोड़ों रुपये के निर्माण कार्यों के सत्यापन और भुगतान के लिए दबाव डाला गया। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान में सिविल कार्यों के भौतिक सत्यापन के लिए कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति आवश्यक है, जो नवंबर 2023 से रिक्त है। बिना उचित सत्यापन के सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर करने के दबाव से परेशान होकर उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया।
शिकायत में डॉ. खाती ने आरोप लगाया कि उनके अस्वीकार करने पर निदेशक ने उनके ग्रीष्मकालीन अवकाश को अस्वीकृत करने की धमकी दी और अन्य सुविधाओं में बाधा डाली। डॉ. खाती ने कहा कि संस्थान के नियमों के अनुसार निर्माण कार्यों के भुगतान के लिए एक भवन निर्माण समिति का गठन जरूरी है, जिसे अब तक स्थापित नहीं किया गया है। बिना इस समिति के निर्माण कार्यों का सत्यापन असंभव है, लेकिन फिर भी उनसे प्रमाण-पत्र हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया जा रहा है।
डॉ. खाती ने संस्थान में चल रही अन्य समस्याओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि सिविल विभाग में आवश्यक कक्षाएं नहीं हो पा रही हैं, शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही, विभाग की सीएडी लैब में लगे 20 केवीए के यूपीएस सिस्टम खराब हो चुके हैं, जिनकी मरम्मत के लिए कई बार अनुरोध किया गया, लेकिन निदेशक कार्यालय की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।
डॉ. खाती ने एक अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दिसंबर 2024 में आईआईटी गुवाहाटी में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उनके पेपर को प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि उनके पास पर्याप्त शोध फंड था। इस वजह से उन्हें सम्मेलन में जाने और अपने पेपर को प्रस्तुत करने से रोका गया।
डॉ. खाती ने अंत में कहा कि उन्हें आकस्मिक अवकाश की भी अनुमति नहीं दी गई और उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया गया। अवकाश पत्र में सभी आवश्यक जानकारी होने के बावजूद निदेशक ने इसे अस्वीकार किया और विभागीय कर्मचारियों के सामने अपमानजनक शब्दों का प्रयोग भी किया।
डॉ. खाती ने उच्च अधिकारियों से इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है और आरोप लगाया कि निदेशक डॉ. वी. एन. काला की निजी रुचि के कारण उन्हें मानसिक रूप से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक