रुद्रप्रयाग: विकासखंड जखोली में आदमखोर गुलदार के आतंक से ग्रामीणों में भारी आक्रोश पनप गया है. ग्रामीण वन विभाग से गुलदार को मारने की मांग कर रहे हैं. जबकि वन महकमा इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है. ऐसे में आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) के जखोली पहुंचने पर उन्हें पंचायत भवन में बंद कर तालाबंदी की. बाद में ग्रामीणों से बातचीत करने पर डीएफओ ने उन्हें समझाया कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा.
ब्लॉक जखोली के देवल, बरसिर सहित अन्य इलाकों में गुलदार का आतंक बना हुआ है. गुलदार ने बीते दिनों बरसिर के डांडा तोक में एक महिला को अपना निवाला बनाया. जबकि बीते माह देवल गांव में घास काट रही महिला को अपना निवाला बनाया था. गुलदार अब तक क्षेत्र में दस घटनाओं को अंजाम दे चुका है, जिसमें दो महिलाएं अपनी जान को गंवा चुकी हैं. गुलदार की दहशत से ग्रामीण जंगल में घास काटने नहीं जा रहे हैं. साथ ही उन्हें खेतों में काम करने में भी डर लग रहा है. बच्चों को भी स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं और डर के साये में जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में ग्रामीण जनता गुलदार को आदमखोर घोषित कर मारने की मांग कर रह रही है. वहीं कार्रवाई ना होने पर ग्रामीण वन विभाग को कार्यालय तालाबंदी के साथ प्रदर्शन की चेतावनी दे चुके थे.
सोमवार को ग्रामीणों से वार्ता करने पहुंची प्रभागीय वनाधिकारी कल्याणी को महिलाओं ने खरी-खोटी सुनाते हुए पंचायत भवन डांडा में बंद कर तालाबंदी की. इसके बाद ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर जोर-जोर से सरकार और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि क्षेत्र में इतनी बड़ी घटनाएं होने के बावजूद भी वन विभाग चैन की नींद सोया हुआ है. ग्रामीणों की परेशानियों को समझा नहीं जा रहा है. ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने डीएफओ से वार्ता की और साफ शब्दों में गुलदार को आदमखोर घोषित करने और गोली को मारने के आदेश देने की मांग की.
ग्रामीणों ने कहा कि गुलदार के भय से ग्रामीण अपने मवेशियों के लिए चारापत्ति नहीं ला पा रहे हैं. ऐसे में मवेशियों के जीवन पर भी संकट मंडरा रहा है. गुलदार दिन के समय महिलाओं पर हमला कर रहा है. उन्होंने कहा कि वे बहुत बड़ी मुसीबत से जूझ रहे हैं.
वहीं, डीएफओ कल्याणी ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही गुलदार की समस्या का समाधान किया जाएगा. गुलदार को पकड़ने को लेकर वन विभाग की टीम पूरी कोशिश में जुटी हुई है.
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक