अभी नही सूखे थे 17 मौत से पीड़ितों के आँसू, फिर पल भर में दफ्न हो गयी 20 जिंदगियां, बेहद खतरनाक था गौरीकुंड हादसा,

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पल भर में दफ्न हुई 20 जिंदगियां, संभलने का तक नहीं मिला मौका, बेहद खतरनाक था गौरीकुंड हादसा

उत्तराखंड के गौरीकुंड में चट्टान और मलबे की चपेट में आने से पल भर में 20 लोगों की जान चली गई. यह हादसा बेहद खतरनाक था. जिसमें लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिल पाया. क्योंकि, अस्थायी दुकानें काफी कच्ची थी और नीचे उफनती मंदाकिनी नदी बह रही थी. ऐसे में लोग बोल्डर और पत्थर के साथ सीधे नदी में जा गिरे. हादसे में जान गंवाने वालों में ज्यादातर लोग नेपाल मूल के बताए जा रहे है,
केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड हादसे में 20लोग जिंदा दफन हो गए. पूरे हादसे का मुख्य कारण चट्टान टूटने से दुकानों पर गिरा मलबा और बोल्डर बताया जा रहा है. ये भी बताया जा रहा है कि पहाड़ी पर स्थित चट्टान के एक हिस्से में देर रात करीब 11 बजे वज्रपात हुआ था. देखते ही देखते पहाड़ी से बोल्डर छिटक गए और सीधे नीचे रास्ते किनारे स्थित तीन दुकानों पर गिर गए. बोल्डर इतने भारी थे कि दुकानों का कुछ अता-पता नहीं चल पाया, दुकान समेत कई लोग सीधे नदी में जा गिरे.अब ऐसे में दुकानों का मलबा सीधे नदी में जा गिरा. यदि दुकानों की दूरी नदी से थोड़ी दूर होती तो शायद लापता चल रहे कुछ लोगों की जान बच सकती थी. नदी के ठीक ऊपर अस्थाई तरीके से ये दुकानें बनाई गई थी. दुकानें मजबूत भी नहीं थी. ये दुकानें बोल्डरों का भार नहीं झेल पाई. जिसके चलते 20 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
लोगों को भागने की सोचते तब तक जलमग्न हो गया था सब, एक सेकेंड का भी नहीं मिला मौका, सोनप्रयाग- गौरीकुंड राजमार्ग के किनारे में जहां पर ये दुकानें थी, वहां से मंदाकिनी नदी की दूरी बेहद कम है. ऐसे में पहाड़ी से आए बोल्डर एक साथ दुकानों को तोड़ते हुए नदी में जा गिरे. जो लोग दुकानों के अंदर थे, उन्हें भागने तक का मौका नहीं मिला. पहाड़ी से गिरे भारी भरकम बोल्डर सड़क में न गिरते हुए सीधे दुकानों पर गिरे. नदी से दुकानों की दूरी काफी नजदीक है.

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