पिता की जन्म दिन पर उनका बेटा दक्ष कार्की हसनी मुखड़ी बसी रे पहाड़ मा, की थीम पर नया गीत लेकर आया है। गीत के जरिये दक्ष कार्की बादलों के माध्यम से अपने पिता को संदेश भेजना चाहते हैं। उन्होंने पिता को रंगीलो और मायालू दगड़िया बताया है। निसंदेह वह दक्ष के लिए ही नहीं बल्कि अपने अनगिनत चाहने वालों के लिए दगड़िये (साथी) की तरह थे। आप उदासी में हों, खुशी में या फिर मस्ती के मूड में। पप्पूदा के गीत हमारे साथ-साथ चल पड़ते हैं।
कुमाऊंनी गीत के ये स्वर कानों में सुनाई पड़ते ही लोक गायक स्व. पप्पू कार्की की अन्वार (छवि) आंखों के सामने उभर आती है। एक हाथ में पाॅकेट डायरी और दूसरे में माइक। हंसमुंख चेहरा लेकर जब वह मंच पर उतरते तो न दर्शकों की तालियां थमती, न फरमाइश का सिलसिला। कुमाऊं की धरती के नायाब सितारे की मंगलवार को जयंती है। पप्पूदा बेशक हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने गीतों के जरिये वह सदा हमारे दिलों में रहेंगे।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक