अंतिम संस्कार के समान में भी मिलावट, कांग्रेस नेता Suryakant Dhasmana ने फेसबुक पोस्ट शेयर किया,उन्होंने कहा मेरे बचपन के मित्र संजय कथूरिया की माँ लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। माता जी की अंत्येष्टि के लिए हम लोग लक्खीबाग श्मशान घाट पहुंचे और वहां जब उनको उनके बड़े पुत्र आशु भाई ने और संजय कथूरिया ने मुखाग्नि दी और उसके बाद वहां श्मशान के कर्मचारी ने अग्नि पर राल डाली तो आग प्रज्ज्वलित होने की जगह लगभग बुझने लगी और वो कर्मचारी बोला कि ये तो मिट्टी मिली राल है, संजय जी के चचेरे भाई जो हनुमान चौक से किसी अग्रवाल_लाला की दुकान से क्रिया_कर्म का सामान लाये थे उन्होंने बताया कि 400 रुपये किलो के हिसाब से दो किलो राल दी यह कहते हुए कि इस सामान पर हम कुछ कमाते नहीं और सारा सामान 6000 रुपये का दिया। सवाल 6000 रुपये का नहीं अफसोस इस बात पर हुआ कि अंतिम संस्कार के सामान में भी मिलावट करने वाले क्या ये भी नहीं सोचते कि अंतिम संस्कार तो सब का होना है ,उसका भी जो ये मिलावट कर रहा है। खैर दुबारा भेजा गया, राल के लिए और दो लोग ले आये राल और दो में से एक और मिट्टी मिली निकली और एक शुद्ध राल थी जिसने चिता की आग को तेज करने में मदद की।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक