उत्तराखंड से जुड़ी इस वक्त की बड़ी खबर उच्च न्यायालय से आ रही है जहां राजधानी देहरादून के नगर निगम परिषद समेत जिलाधिकारी, कैंट बोर्ड और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों सहित आगामी 19 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से उच्च न्यायालय में पेश होने का तलबी आदेश पारित किया है इतना ही नहीं बल्कि उच्च न्यायालय ने सख्त रुख इख्तियार करते हुए चेतावनी भी दी है कि क्यों न आपके विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही की जाए ? …आपको बता दें कि राजधानी देहरादून निवासी एक आकाश यादव नामक व्यक्ति ने राज्य के नैनीताल स्थित उच्च न्यायालय की दोहरी खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें याचिकाकर्ता के मुताबिक एक पुराने आदेश का ज़िक्र किया था जिसके तहत बीते वर्ष 2018 में उच्च न्यायालय द्वारा मनमोहन लखेरा की जनहित याचिका में आदेश पारित किया गया था कि देहरादून में सड़क मार्गो गलियों नालियों और रिस्पना नदी से अतिक्रमण हटाकर उसे प्राचीन स्वरूप में पुनः स्थापित करने का आदेश दिया था जिसके पश्चात प्रशासन ने घंटाघर सहित कई स्थानों से अतिक्रमण मुक्त कार्यवाही को अंजाम देते हुए इसमें लीपापोती कर माननीय उच्च न्यायालय में कार्यवाही का प्रस्तुतीकरण दिया था मगर प्रशासन की लापरवाही के कारण कई अतिक्रमणकारियों द्वारा उक्त स्थानों पर पुन: अतिक्रमण को अंजाम दे दिया गया जिस कारण राजधानी देहरादून के कई सड़क मार्ग नालियां गलियां बेहद संक्रमित संस्कृत हो गई और आमजन को आवाजाही में खासी दिक्कतें सामने आने लगी जिसके बाद इसे दलील के रूप में एक याचिका उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पेश करके पुणे अतिक्रमण मुक्त किए जाने हेतु गुहार लगाई गई जिस पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में तैनात यानी वर्ष 2018 के अधिकारियों पर सख्त रुख अपनाया गया है और उस वक्त के तमाम अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश जारी किया है साथ ही उनसे जवाब तलब किया गया है कि क्यों न उनके विरुद्ध अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए !
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक