तीनों धामो के बाद अब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की खुलने की प्रक्रिया शुरू, बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की क्या है मान्यता यहां देखिये…

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बैकुण्ठ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया का हुआ शुभारम्भ, आदिगुरु शंकराचार्य जी की डोली एवं गाडू घड़ा कलश यात्रा पहुँची योग ध्यान बद्री पाण्डुकेश्वर

बद्रीनाथ धाम के कपाट बन्द होने के उपरान्त शीतकालीन प्रवास हेतु जोशीमठ में प्रवासरत आदिगुरु शंकराचार्य की डोली पूर्ण विधि-विधान एवं पूजा अर्चना के बाद आज को भव्य रुप से सुसज्जित पौराणिक गाडू घड़ा कलश यात्रा के साथ पूर्ण सुरक्षा के बीच योग ध्यान बदरी पाण्डुकेश्वर पहुँच गई है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के विषय में मान्यता है कि भगवान बद्रीविशाल जी के महाभिषेक के लिए तिल का तेल प्रयोग करने की परम्परा है, इस तेल को टिहरी राजदरबार में सुहागिन महिलाओं द्वारा विशेष पोशाक पहन कर पिरोने के उपराऩ्त डिम्मर गाँव के डिमरी आचार्यों द्वारा लाए गए कलश में भर दिया जाता है जिसे गाड़ू घड़ा कहते हैं। इसी कलश को श्री बद्रीनाथ पहुँचाने की प्रक्रिया गाडू घड़ा कलश यात्रा कहलाती है। जोशीमठ पहुँचने के उपरान्त आदि गुरु शंकराचार्य की डोली भी इसी यात्रा के साथ योग ध्यान बद्री पाण्डुकेश्वर पहुँचती है। पाण्डुकेश्वर पहँचने के उपराऩ्त योग ध्यान बद्री में शीतकालीन प्रवास हेतु विराजमान भगवान उद्धव जी एवं भगवान कुबेर जी की डोली, शंकराचार्य जी एवं गाडू घड़ा कलश यात्रा के साथ श्री बद्रीनाथ जी के धाम के लिए पहुँचते हैं।

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