गढ़वाल की लोग कथाओं से रूबरू कराएगी गजेंद्र नौटियाल की “चार रेखड़ा” किताब, खास है 11 कहानियां….

Spread the love

“चार रेखडा” गढवाळी कथा-कथगुली विमोचन
नाटककार गजेंद्र नौटियाल की 11 कहानियों का संग्रह चार रेखडा गढ़वाली कथा कथतगूली का विमोचन सोमवार को देहरादून पुस्तकालय के सभागार में हुआ, साहित्यकार डॉक्टर सविता मोहन बिना बेंजवाल, जनकवि डॉक्टर अतुल शर्मा, विनय ध्यानी, गोविंद राम पेटवाल और कार्यक्रम अध्यक्ष पदमश्री प्रीतम भारतवान ने संयुक्त रूप से किया, मुख्य अतिथि सविता मोहन ने कहा गजेंद्र नोटियाल की यह पुस्तक लोक समाज की यथार्थवादी चिंतन प्रस्तुत करती है, वही वही डॉक्टर प्रीतम भारतवान ने कहा की गजेंद्र सहज और सरल स्वभाव की धनी है उनकी रचनाएं हमेशा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाने को प्रेरित करती है
“चार रेखडा” गढवाळी कथा-कथगुली विमोचन उत्तराखंड के पहाड़ों की कई कहानियां आपने सुनी होंगी. पहाड़ के गांवों की 11 लोक कथाओं का संकलन करके लेखक गजेंद्र नौटियाल ने एक पुस्तक लिखी है, जिसका नाम ‘चार रेखड़ा’ है. चार रेखड़ा का अर्थ होता है जीवन की चार रेखाएं. इस किताब में उन्होंने गांव के परिवेश, संस्कृति और माहौल को दर्शाया है, खासकर उन्होंने जो अपने गांव-देहात में देखा है. अपने पिछले 40 सालों की रिसर्च के बाद उन्होंने अपनी कथाओं का संकलन किया है. सोमवार को 11 कहानियों के संग्रह चार रेखड़ा कथा-कथगुळि का विमोचन किया गया.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के लेखक और नाटककार गजेंद्र नौटियाल ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि आज की पीढ़ी रेखड़ा को नहीं जानती है क्योंकि इसका आज जिक्र नहीं किया जाता है. उन्होंने इसे जीवित करने की कोशिश की है. वैसे तो इस किताब में 11 कहानियां हैं लेकिन इसमें जो लीड कहानी है, वह पुराने समय में जातिवाद और छुआछूत को दर्शाती है. इस कहानी में एक ओजी है, जो ढोल बजाने का काम करता है. वह सभी बंधनों और सीमाओं को लांघकर कुछ बड़ा करने की सोच रखता है. वह सम्पन्न लोगों की तरह ही शादी करना चाहता है. वह समाज से लड़ाई लड़ता है और समाज में जो उच्च वर्ग के लोगों ने रेखाएं बनाई हैं, उन्हें तोड़ता है.

समाज में बदलाव को दर्शाती मार्मिक कहानी
उन्होंने आगे कहा कि यह एक मार्मिक कहानी है, जो समाज में बदलाव को दर्शाती है. अपने काल समय को सूक्ष्मता से समेटे कहानियों में शिल्पकार समाज के प्रति सामाजिक रवैये पर उनकी कहानियां रोष व्यक्त करती लगती हैं. साहित्यकार बीना बेंजवाल ने किताब को लेकर कहा कि कथानक ठेठ गांव को बारीकी से चित्रित करते सुंदर बिंब, ठेठ गांव के पात्र और भाषा की दृष्टि से कई विलुप्त होते शब्दों, मुहावरों का सुंदर संयोजन इस किताब की सभी कहानियों में है, जो इस संग्रह को और रुचिकर बना देता है.

कहानियों में रोचकता लाती है गढ़वाली भाषा
गढ़वाली लोक समाज को प्रतिबिंबित करने वाली कहानियों को गढ़वाली भाषा में लिखा गया है. साहित्यकार डॉ अतुल शर्मा ने कहा कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले गजेंद्र नौटियाल की कहानियों में समाज के साथ गहरी संवेदनाओं के साथ जुड़ती चलती हैं. इसमें ‘सतरू बेड़ा’ में समाज की तस्वीर को बखूबी दर्शाया गया है. पुस्तक लोक समाज का यथार्थवादी चिंतन प्रस्तुत करती है, जो लोक साहित्य और समाज को नई दिशा देने का सफल प्रयास साबित होगी. इस किताब की कीमत महज 110 रुपये रखी गई है. इसे आसानी से देहरादून के बुक स्टोर से खरीदा जा सकता है.

error: Content is protected !!
Powered & Designed By Dhiraj Pundir 7351714678