पुण्य मैंहैंड़ माघ भरिक
खिचड़ी खानी तिल लड़ू दाणी
घुघुतिया त्यार उतरैंणी पर्वी
काले काले की सुड़िछै वाणी।
शौका का बाकरा देखिड़ में ऊनी
और देखिनी लामा लाम्याणी।
जम्बू धुंगार खांड़ में ल्ह्यूनी
डुबक में खितनी गनरैंणी।
दुतिया दिन च्यूड़ कुटनी
उति में हालनी अखोड़ दाणी।
गुण की भेली गुन लुकूनी
लुटांणी बैठी घाम तापनी।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक