भतरौंजखान (अल्मोड़ा)। भतरौंजखान क्षेत्र में 108 एंबुलेंस सेवा के फार्मासिस्ट ने एक ऐसी महिला का सुरक्षित प्रसव कराया, जिसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) भतरौंजखान से रेफर कर दिया गया था। इस घटना ने एंबुलेंस के फार्मासिस्ट की सूझबूझ की वाहवाही तो बटोरी ही, साथ ही अस्पताल की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना गांव गुजरगढ़ी की 20 वर्षीया रीता की है, जिसे प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा के जरिए पीएचसी भतरौंजखान लाया। यहां से महिला को रानीखेत के लिए रेफर कर दिया गया। जब उसे 108 एंबुलेंस से रानीखेत ले जाया जा रहा था, तो रास्ते में रीची के पास उसकी प्रसव पीड़ा असहनीय हो गई।
ऐसे में एंबुलेंस में तैनात फार्मासिस्ट विपिन सती ने सूझबूझ का परिचय देते हुए वाहन में ही महिला का सुरक्षित प्रसव करा दिया। रीता ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों को बाद में रानीखेत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल
पीएचसी भतरौंजखान के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. विवेक पंत ने बताया कि उनकी मुख्य तैनाती भिकियासैंण में है और भतरौंजखान का अतिरिक्त चार्ज उन्हें दिया गया है। उन्होंने कहा कि भतरौंजखान में न तो स्थायी डॉक्टर है और न ही स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनोलॉजिस्ट)। इसलिए महिला को सुरक्षा की दृष्टि से रानीखेत रेफर किया गया।
पहले भी हुआ है ऐसा मामला
यह पहली बार नहीं है जब 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों ने प्रसव पीड़ित महिला की मदद की। इससे पहले, एक फरवरी को स्याल्दे ब्लॉक के तामाढौन निवासी मेघा नामक महिला को प्रसव पीड़ा की स्थिति में सीएचसी भिकियासैंण लाया गया था। उसके मामले को जटिल बताते हुए उसे रानीखेत रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में ताड़ीखेत के पास 108 एंबुलेंस के फार्मासिस्ट ने उसका सुरक्षित प्रसव कराया था।
सीएमओ ने लिया संज्ञान
सीएमओ डॉ. आरसी पंत ने कहा कि सभी पीएचसी और सीएचसी को निर्देश दिए गए हैं कि जब तक जरूरी न हो, प्रसव पीड़िताओं को रेफर न करें। उन्होंने कहा कि इस मामले का संज्ञान लिया जा रहा है और रेफर करने की वजह जांची जाएगी। यदि लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक