उत्तराखंड में घटना का इंतजार किया जाता है पहाड़ की न जाने अंकिता जैसी कितनी बेटियां घर से बाहर रहकर नौकरी करते होगी,
ऐसी ही घटनाओं के बाद बेटियों को बाहर भेजने से कई मां-बाप संकोच करते हैं और यही घटनाएं कई बेटियों की पैरों की बेडियां बन जाती है,
क्या बोले आरोपी पुलकित के आप भी सुनकर हैरान हो जायंगे ..वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें
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सरकार अगर पहले से ऐसे भी रिजॉर्ट पर कार्रवाई हुई होती तो शायद अंकिता आप और हमारे बीच होती ना कि अंकिता की डेड बॉडी की खबर आ रही होती,ऐसी कारवाही तो होते रहती क्या अंकिता के पिता को अंकिता वापस मिल सकती है??
अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के पट्टी नादलस्यूं में श्रीकोट गांव की रहने वाली थी. वो बीजेपी नेता और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य के वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी. 19 साल की अंकिता 19 सितंबर से लापता थी. उसके पिता ने 19 सितंबर को राजस्व पुलिस चौकी उदयपुर तल्ला में मुकदमा दर्ज कराया था.
उत्तराखंड एसडीआरएफ की टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. चीला शक्ति नहर में चीला पावर हाउस के पास एक युवती का शव बरामद हुआ है. पुलिस शव की शिनाख्त नहीं कर पाई तो अंकिता के परिजनों को इसकी सूचना दी गई. नहर में बरामद शव अंकिता का होने की संभावना जताई जा रही थी. ये शक सही साबित हुआ. अंकिता के पिता भाई ने शव अंकिता का होने की पुष्टि कर दी. सीएम धामी ने अंकिता की मौत पर दुख जताया है. इसके साथ ही उन्होंने पुलिस उपमहानिरीक्षक पी रेणुका देवी के नेतृत्व में SIT का गठन कर इस गंभीर मामले की गहराई से त्वरित जांच के भी आदेश दे दिए हैं.
हर घटना के बाद यही बोला जाता है, कड़ी सजा मिलेगी , दरिंदे जुर्म करके खुलेआम घूम रहे हैं उत्तराखंड में किसी को सजा मिली वही घिसी पिटी बात रोज कहते हैं सजा मिलेगी सजा मिलेगी , कब मिलेगी??
कितने सपनों को लेकर बैठी थी वह बेटी
घर छोड़ कर नौकरी कर रही थी वह बेटी
अनजान थी वह उसके संविधान पर ताला लगा है,पिता की उम्मीदों पर चल रही थी वह बेटी
देवभूमि की देव धरती खून के रंगों की होली खेल रही थी
मुझे बचाओ मुझे बचाओ एक पिता की बेटी चिल्लाकर बोल रही थी
नहीं थी खबर उसको कि यह अंधा समाज मौन सोया है
उसको मिटाने की साजिश भी हैवानियत में लिखी जा रही थी
कलंक लग गया इस देवभूमि पर एक बेटी के शरीर को नोचने से
सुन्न हो गए सारे देवता ऐसी हैवानियत देखने से
संरक्षण पा रहे हर हत्यारे राजनीति की आड़ में
सब कुछ देख कर भी मजा ले रहे तंत्र अपने गलियारे से
सजा रहे थे पिता सपने बेटी को डोली में विदा करने का
पुण्य कमायेगा एक पिता कन्यादान करवाकर बेटी का
रोया होगा पहाड़ सारा उस अंधेरी रात का
रो रही होगी देवभूमि तब काम किया जा रहा जब सॉसे रोकने का
छोड़ कर चली गई वह बेटी अब मोमबत्तीयों का प्रचलन होगा
इसी उम्मीद में जो बैठे थे अब जागने का ड्रामा होगा
हर कोई कहेगा न्याय दो न्याय दो दिखावा हद से ज्यादा होगा
एक पिता ने बेटी खो दी अब उसको कोई लौटाकर को नहीं ला पाएगा
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक