चुनावी साल में बीजेपी सरकार ने ग्राम प्रधानों का मानदेय की घोषणा पहले ही कर दी थी,आज सरकार ने प्रधानगणों मानदेय 3500 का शासनादेश जारी कर दिया है।लेकिन विभाग के प्रस्ताव के विपरीत सरकार ने अन्य पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय नहीं बढ़ाया है। इस पर दूसरे प्रतिनिधियों में नाराजगी नजर आ रही है। प्रदेश में पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय पिछली बार दिसंबर 2017 में बढ़ाया गया था।
वर्तमान में ग्राम प्रधानों को दिए जा रहे मानदेय पर होने वाले व्यय का वहन पंचायतों को सम्मिलित की जा रही राज्य वित्त आयोग की धनराशि से किया जाता है ग्राम प्रधान के मानदेय में वृद्धि के उपरांत अतिरिक्त धनराशि की वहन भी राज्य वित्त आयोग द्वारा पंचायतों को सम्मिलित की जा रही धनराशि से ही किया जाएगा
तब से सभी पंचायत प्रतिनिधि मानदेय नए सिरे से तय करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे थे। अब सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक में ग्राम प्रधानों का मानदेय तो 1500 से बढ़ाकर 3500 सौ कर दयिा है, लेकिन उप प्रधान, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य के साथ ही प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का मानदेय नहीं बढ़ाया है।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक