कुमाऊ में कोई भी शुभ कार्य से पहले, ये झोड़ा या चाँचरी गाये जाते है,
गैला मैला पातली में न्यौली बासली,
ऊॅचा धुरा शिकारी कौ कफुवा बासलो
बस बास न्योली चड़ी मैती का दिशा
ईजू मेरी सुणैली भागी मिटौली लगाली
रूण भूण रितू ए मैं छ इजू… गोविंद दिगारी व खुशी जोशी ने पुराने सौजन का फुना झोड़े को नए रूप में गाया है,
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक