पूर्व सीएम हरीश रावत ने लिखा है, उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री को मैं कल ही बधाई दे चुका हूंँ। आज उन्हें एक सलाह देना चाहता हूंँ, उनके पास और उनकी पार्टी के पास यह अंतिम अवसर है कि वो 2017 के अपने चुनावी घोषणा पत्र को खोलें। क्योंकि मुझे नहीं लगता है कि पहले के दोनों माननीय मुख्यमंत्री, चुनावी घोषणा पत्र को खोल पाए,
मैं, पुष्कर सिंह धामी जी से कहना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री होता है, वो कितनी ही अवधि का मुख्यमंत्री हो। यदि उसमें निर्णय लेने की संकल्प शक्ति है तो निर्णय लिए जाते हैं। मैंने सर्वाधिक निर्णय उस दौर में लिए जब मेरी सरकार पर केंद्र सरकार ने राजनैतिक अस्थिरता थोप दी थी।
हरीश रावत ने ये भी लिखा कि पुष्कर धामी जी चुनावी घोषणा पत्र को खोल लेते हैं तो उन्हें एक अच्छा विद्यार्थी माना जाता, जिस राज्य में बेरोजगारी की वृद्धि दर 23.30 प्रतिशत पहुंच गई हो, कोरोना की दूसरी लहर में हॉस्पिटलों ने किस तरीके से अंडररिर्पोटिंग की है उसकी कहानियां छप रही हों, जहां कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग का एक सर्वनाम घोटाला हो गया हो, विकास कार्य ठप पड़े हुये हों, अपराधों की वृद्धि दर सर्वाधिक हो, उस राज्य के नवागंतुक मुख्यमंत्री जी के लिए बहुत सारी चुनौतियां हैं। मगर एक सलाह और भी मैं उनको देना चाहूंगा कि वो इस मामले में अपने प्रदेश अध्यक्ष के झूठ को उत्तराखंड के नौजवानों के सामने न परोसें, उन्होंने एक झूठ परोसा है कि 7 लाख लोगों को नौकरियां दी हैं। मैं समझता हूंँ कि इतना लंबा झूठ बोलने का रिकॉर्ड और किसी के नाम पर नहीं होगा। यह संख्या केवल कुछ दर्जनों तक सीमित है। मेरे 3 साल के कार्यकाल में 32 हजार लोग राजकीय सेवाओं में किसी न किसी रूप में कार्यरत हुये।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक