रानीखेत से भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल को भारत नेपाल बॉर्डर पर एसएसबी ने 40 कारतूस के साथ गिरफ्तार किया है आपको बता दें कि भारत नेपाल बॉर्डर पर बनबसा में रानीखेत विधायक प्रमोद नैनवाल के छोटे भाई सतीश नैनवाल और उनके ड्राइवर को अवैध कारतूस के साथ एसएसबी ने गिरफ्तार किया है । इसके बाद बनबसा पुलिस के हवाले कर दिया गया है गौरतलब है की एसएसबी ने 7.65 एमएम के कारतूस बरामद किए । फिलहाल पुलिस पूछताछ करने में जुटी हुई है । वही आंतरिक सुरक्षा को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस पूरे मामले पर प्रेस वार्ता करते हुए कहा की सत्ताधारी दलों में इस पूरे मामले को लेकर देहरादून से लेकर दिल्ली तक बेचैनी नजर आ रही है । विधायक प्रमोद नैनवाल ने बताया की भूल बस तरीके से जेब में कारतूस चले गए थे और उन पूरी 40 कारतूस का बिल भी है हालांकि अब पूरा मामला जांच का विषय बना हुआ है,
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ने पत्रकारवार्ता कर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने 40 जिंदा कारतूस के साथ पकड़े गए विधायक के भाई से लेकर बेटियों के साथ हो रहे अपराध तक के मामले में सरकार को घेरा।
एसएसबी 57वीं वाहिनी से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार दोपहर 1:15 बजे बनबसा बार्डर पर नियमित चेकिंग के दौरान यूके04 एके 2477 नंबर की वरना कार रोकी गई। चालक बाहर उतरकर बैग की जांच के लिए स्कैनिंग मशीन के पास पहुंचा। बैग के भीतर संदिग्ध सामग्री होने की पुष्टि होने पर बैग खोला गया। जिसमें 40 जिंदा कारतूस मिले।
कार लेकर नेपाल की ओर भाग गया
चालक ने बैग खुद का न होकर कार में बैठे साथी का होने की बात कही। साथी को बुलाया गया तो वह कार लेकर नेपाल की ओर भाग गया। एसएसबी के आरक्षी ने बाइक से पीछा किया, लेकिन वह नेपाल में प्रवेश कर चुका था। सहायक कमांडेंट जसोबंता सेनापति की पूछताछ में चालक ने खुद का नाम दिनेश चंद्र पुत्र शेर राम निवासी दंपौ, जिला अल्मोड़ा बताया। कहा अपने साथी के साथ वह नेपाल जा रहा था।
अपराह्न 15:30 बजे नेपाल भागे व्यक्ति ने एसएसबी चौकी पहुंचकर अपना नाम सतीश नैनवाल पुत्र चंद्र दत्त निवासी भतरौजखान, थाना-बेतालघाट, नैनीताल बताया। उसने हड़बड़ाहट में गाड़ी भगाने की बात स्वीकारी। मोबाइल में शस्त्र लाइसेंस दिखाया और बैग में जिंदा कारतूस रखने पर गलती होने की बात कही।
बाइट हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक