24 साल का उत्तराखंड पहाड़ी प्रदेश एकमात्र राज्य है, जिसका सेहत के मामले में प्रदर्शन बेहतर होने की बजाए बदतर हुआ है,
किसी भी राज्य की तरक्की का ग्राफ इस बात पर निर्भर करता है जब कि उसके लोग कितने सेहतमंद है। जनता स्वस्थ रहे, इसके लिए चिकित्सा सुविधाएं दुरुस्त होनी चाहिए, लेकिन उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति निराशाजनक है। बीते साल में छोटे-छोटे कई प्रयास किए गए पर अब भी कई चुनौतियां मुंह बाहे खड़ी हैं। स्थिति यह कि दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ सेवाओं की पहुंच, चिकित्सकों की संख्या में बढ़ोत्तरी और संसाधन विकसित करने के सरकारी दावों के बीच जच्चा-बच्चा सड़क पर दम तोड़ देते हैं। सामान्य बीमारी तक के लिए व्यक्ति प्राइवेट अस्पताल का रुख करने को मजबूर है। उस पर नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट आइना दिखाने वाली है। 24 साल का यह पहाड़ी प्रदेश एकमात्र राज्य है, सेहत के मामले में जिसका प्रदर्शन बेहतर होने की बजाए बदतर हुआ,
स्वास्थ्य सेवा के साथ खिलवाड़ का ताजा उदाहरण बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ
पहले से ही कई खामी होने की शिकायतें, अब विवाद मारपीट तक पहुंचा
कई संगठनों का चढ़ने लगा पारा, दोनों चिकित्सकों को हटाने की मांगसीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: जहां उच्चाधिकारियों व मंत्रियों द्वारा समय—समय पर मरीजों को बेहतर इलाज देने, बाहर की दवाएं नहीं लिखने और मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार बनाये रखने के निर्देश दिए जाते रहे हैं, वहीं अस्पतालों में कई बार इसके उलट स्थिति देखने में आ रही है। इसका ताजा उदाहरण बागेश्वर जिले का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ में सामने आया है। जहां मरीजों से सीधे मुंह बात नहीं होने तथा स्टाफ में विवाद होते रहने की शिकायतें तो आए दिन मिलती हैं, वहीं गत सोमवार को अस्पताल में दो चिकित्सक आपस में बुरी तरह भिड़ गए। करीब आधे घण्टे तक चले इस झगड़े को देख अस्पताल में मरीजों में भी अफरातफरी मच गयी।
इन दिनों बागेश्वर जिले का बैजनाथ सरकारी हॉस्पिटल सुर्खियों में बना हुआ है,
जनता का आरोप है यहां डॉक्टर काफी मनमानी करते हैं,पहाड़ की गरीब महिलाओ ने बताया कि हमारे पास इतने पैसे नही की हम प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कर सके, इसलिए हमको सरकारी हॉस्पिटल का चक्कर काटना पड़ता है,
और जब सरकारी हॉस्पिटल में जाते है, तब यहां औषधि केंद्र होते हुए भी, डॉक्टर बाहर से दवाई लेले के लिए हमें मजबूर कर देता है,
सूत्र बताते हैं, कि बीते सोमवार को यहां पर दो डॉक्टरों के आपस में धक्का मुक्की भी हुई है, आखिरकार ऐसे डॉक्टरों को पहाड़ में इसलिए भेजा जाता है, ताकि ये पहाड़ के लोगों की कर सके, ना की अपना झोला भर के यहां से वापस लौट जाना है,
किसकी शरण में हो रहा है खुल्ला खेल सबके सामने जरूर आएगा
बागेश्वर जनपद में सरकारी चिकित्सालयों में डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवाइयां लिखने के मामले काफी देखने को मिले हैं और साथ में कुछ सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की काफी कमी दिखाई दे रही है,
एम.आर से ज्यादा देर तक मिलना देखा जा रहा है जिस पर जिला स्वास्थ्य महकमा लगातार सख्ती बरत रहा है। ऐसे में विभाग हर समय यही कहता है, बाहर की दवाई लिखने पर कार्यवाही होगी, आखिर कब ??
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक