अल्मोड़ा, महज 17 साल का करन माता-पिता को गहरे जख्म देकर चला गया। पिता की आंखों से आंसू तक नहीं निकल रहे हैं, वहीं मां अपने लाडले को खोकर बेसुध है। मां बार-बार वनाग्नि को कोस रही है। वहीं, छोटा भाई असहाय होकर परिवार की विपदा को देख रहा है।
भेटुली आयारपानी निवासी करन ने इसी साल इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। करन की मां और पिता खेतीबाड़ी कर परिवार चलाते हैं। छोटा भाई दसवीं का छात्र है। इस साल करन ने इंटर की परीक्षा पास की तो उसने तय किया अब वह भी घर की आर्थिकी चलाने में परिजनों की मदद करेगा। वनाग्नि के दौर में उसने वन विभाग में दैनिक श्रमिक के तौर पर काम करना शुरू कर दिया।
रोज करन वनकर्मियों के साथ आग बुझाने के लिए चला जाता। करन के वनविभाग में काम करने को लेकर विवाद भी शुरू हो गया है। सवाल उठ रहे है कि नाबालिग को वन विभाग ने कैसे काम पर रखा।
गुरुवार को भी उसे सूचना मिली कि बिनसर के जंगल में आग लगी है। वह आग बुझाने के लिए घर से निकल गया, लेकिन वापस लौट कर नहीं आया। देर रात करन का शव घर पहुंचने के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक