कोट की माई का मेला’ के नाम से जाना जाने वाला यह उत्सव मार्कण्डेयपुराण में उल्लिखित भ्रामरीदेवी तथा नन्दादेवी के सम्मान में चैत्र मास के नवरात्रों की पंचमी से लेकर अष्टमी तक वैजनाथ से 3 कि. मी. आगे ग्वालदम वाले मार्ग पर एक ऊंची चोटी पर मनाया जाता है। पहले कत्यूरी शासनकाल में इस स्थान को ‘रणचूलाकोट’ कहा जाता था तथा यहां पर उनका किला भी होता था। कहा जाता है कि अपनी उत्तराखण्ड यात्रा के समय आदि शंकराचार्य जी भी यहां आये थे और उन्होंने वैजनाथ के भ्रामरीदेवी मंदिर की शिला का पूजन एवं देवी की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा यहीं पर की थी। कालान्तर में इसकी ‘कोट की माई के नाम से पूजा-अर्चना की जाने लगी थी।
आगामी 21 सिंतबर से आयोजित होने वाले सुप्रसिद्ध कोट भ्रामरी मेले को भव्य व आकर्षक बनाने की तैयारियों को लेकर ब्लॉक प्रमुख हेमा बिष्ट की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई, तीन दिवसीय मेले का आगाज 21 सिंतबर व समापन 23 सिंतबर को होगा।
बैठक में तय किया गया कि कुमांऊ व गढ़ावाल का व्यापारिक व सांस्कृतिक कहे जाने वाले कोट भ्रामरी मेले को आकर्षित बनाया जाएगा। इसके लिए जिम्मेदारियां भी सौंपी गई कोट भ्रामरी मंदिर परिसर में मंगलवार को आयोजित बैठक में मेले को लेकर
मंथन किया गया। अध्यक्षता करते हुए ब्लॉक प्रमुख हेमा बिष्ट ने कहा कि मेला भव्य बनाने के लिए सभी विभागों, मेला कमेटी के सदस्यों व आमजनता के सहयोग से मेले को भव्य बनाया जाएगा। मेला कमेटी के संरक्षक शिव सिंह बिष्ट ने कहा कि मेला कुमाऊं गढ़वाल का व्यापारिक, सास्कृतिक मेला है। यहां दूर दूर से लोग मेला देखने और व्यापार करने के लिए आते हैं, उनको किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए सभी लोगों का सहयोग जरूरी है। पूर्व विधायक कपकोट ललित फस्र्वाण ने कहा कि मेले में कदली वृक्ष लाने के लिए सभी कत्यूर के लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। मेले को शांतिपूर्ण कराने
के लिए क्षेत्र में मादक पदार्थो पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। उपजिलाधिकारी राज कुमार पांडेय ने नगर पंचायत, लोक निर्माण विभाग, जिला पंचायत, ग्राम्य विकास विभाग, बिजली विभाग, पेयजल विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, फायर ब्रिगेड सभी को अपने कार्यों को तत्परता से करने और किसी भी प्रकार की लापरवाही ने बरतने की सख्त हिदायत दी।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक