Story
स्क्रिप्ट
स्लग-कुत्तों से टाइगर को खतरा,बाघ से कुत्तों को खतरा होना यह तो आम बात है ,पर एक वायरस से टाइगर को खतरा,
केनाइन डिस्टेंपर वायरस से टाइगर,गुलदार को बचाने के लिए प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी,कुत्तों का शिकार करने से फैलेगी बीमारी,कुत्तों में पाया जाता है वायरस।
रिपोर्टर-अमित बेलवाल-8410339476
स्थान-रामनगर,उत्तराखंड
एंकर-कुत्तों से टाइगर को खतरा,बाघ से कुत्तों को खतरा होना यह तो आम बात है ,पर एक वायरस से टाइगर को कुत्तों से खतरा हो गया है,केनाइन डिस्टेंपर वायरस से टाइगर,गुलदार को बचाने के लिए प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी,कुत्तों का शिकार करने से फैलेगी बीमारी,कुत्तों में पाया जाता है वायरस,कॉर्बेट प्रशासन बना पहला पार्क जहां कुत्तों को कैनाइन डिस्टेम्बर वायरस से बचाने को लेकर मिली शासन की अनुमति।
वीओ-बाघ से कुत्तों को खतरा होना यह तो आम बात है, लेकिन यह सुनकर आप भी चौंक जाएंगे कि कुत्ते बाघों व गुलदार के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। देश में टाइगर को कुत्तों से खतरा पैदा हो गया है। इसी खतरे को भांपते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने देश के सभी टाइगर रिजर्व के लिए स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (एसओपी) जारी किया है। जिसमें टाइगर रिजर्व के आसपास के गांवों में रह रहे आवारा कुत्तों का टीकाकरण और बधियाकरण करने समेत कई निर्देश दिए गए हैं। बाघों को कुत्तों से सीधे तौर पर तो कोई खतरा नहीं है , लेकिन केनाइन डिस्टेम्पर डिजीज (canine distemper virus) नामक वायरस जो कुत्तों से फैलता है यह बाघों को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
केनाइन डिस्टेंपर वायरस से टाइगर,गुलदार को बचाने के लिए प्रोजेक्ट को सरकार से मंजूरी मिल गयी है,अब जल्द ही कॉर्बेट पार्क से लगते लैंडस्केप क्षेत्रों में शुरू होगा डॉगी का टीकाकरण।
बता दें कि आवारा कुत्तों के जरिये जंगल में बाघ, तेंदुआ जैसे वन्यजीवों में सीडीवी (केनाइन डिस्टेंपर वायरस) बीमारी पहुंच सकती है। कुत्तों से सीडीवी बीमारी वन्यजीवों में ट्रांसमिट होती है। जब बाघ, तेंदुआ आदि उसका शिकार करते हैं तो वह खतरनाक वायरस उनमें पहुंच जाता है।यह बीमारी दिमाग को प्रभावित करती है। वन्यजीव में तेज बुखार, लकवा के रूप में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसके बाद उनकी मौत हो जाती है। बीमारी के खतरे को देखते हुए एनटीसीए और वन महकमा सतर्क हो गया है, वही जानकारी देते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ धीरज पांडे ने बताया कि केनाइन डिस्टेंपर वायरस को लेकर पूर्व से ही कॉर्बेट प्रशासन अलर्ट मोड में रहा है ,उन्होंने कहा कि अलग-अलग पार्कों में K9 डिस्टेंपर वायरस से बाघों व शेरों की मौत के मामले पूर्व में रिकॉर्ड हुए है,उन्होंने कहा कि नेपाल में भी इस वायरस से 4 बंगाल टाइगर की मौत हो चुकी है, उन्होंने कहा कि इसको रोकने को लेकर हमारे द्वारा एक प्रोजेक्ट बनाया गया था जिसको मंजूरी मिल चुकी है और उत्तराखंड का कॉर्बेट पार्क पहला ऐसा पार्क है जिसको इसको लेकर मंजूरी मिली है, उन्होंने कहा कि कॉर्बेट पार्क व आसपास के क्षेत्र में रहने वाले आवारा कुत्तों को हमारे द्वारा वैक्सीनेट करने की कार्रवाई अब जल्द शुरू की जायेगी जाएगी। उसके साथ-साथ एक डिजीज सर्विलांस प्रोटोकॉल भी शुरू किया जाएगा, टाइगर में इस बीमारी को कैसे कंट्रोल किया जाए।
गढ़वाली कुमाउनी वार्ता
समूह संपादक